सेरीब्रल पाल्सी से ग्रसित तुहिन का पूरा हुआ सपना, तीन साल की मेहनत के बाद मिला आइआइटी में दाखिला
सेरीब्रल पाल्सी बीमारी से ग्रसित तुहिन डे ने के हाथ पैर काम नहीं करते वह मुंह से मोबाइल और कम्प्यूटर चलाता है। इसके बावजूद तीन साल की कठिन मेहनत के बाद आखिरकार उसे आइआइटी में दाखिला मिल गया है । तुहिन अब इनफोर्मेशन टेक्नोलाजी की पढ़ाई करेगा।
जयपुर, जागरण संवाददाता। सेरीब्रल पाल्सी बीमारी से ग्रसित तुहिन डे ने राजस्थान की कोचिंग नगरी कोटा में रहकर तीन साल तक इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी की। अब तुहिन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी) शिबपुर पश्चिम बंगाल से इनफोर्मेशन टेक्नोलाजी की पढ़ाई करेगा। तुहीन ने जेईई-मेंस में कैटेगिरी रैंक 438 हासिल की है।
सेरीब्रल पाल्सी क्या है
सेरीब्रल पाल्सी तुहिन के शरीर में आर्थो ग्रिपोसिस मल्टीप्लेक्स कान्जीनेटा विकार है, जिसमें मांसपेशियां इतनी कमजोर होती हैं कि शरीर का भार नहीं उठा सकती। तुहिन न हाथ हिला सकता है और न अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। सिर्फ गर्दन से ऊपर सिर का हिस्सा सक्रिय रहता है। हाथ-पैर साथ नहीं देने के बावजूद तुहिन मुंह से मोबाइल और कम्प्यूटर चलाता है। कॉपी में लिखता है। यही नहीं सामान्य विद्यार्थियों से ज्यादा बेहतर कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग के बारे में जानता है। तीन साल पहले दसवीं पास करने के बाद इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-एडवांस्ड की तैयारी करने तुहिन पश्चिम बंगाल के मिदनापुर से कोटा आया। तुहिन ने शारीरिक विकारों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सामान्य विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई की और सफलता हासिल की। ख्यातनाम भौतिक विज्ञानी स्टीफन हाकिन्स को आदर्श मानने वाला तुहिन उन्हीं की तरह एस्ट्रो फिजिक्स में शोध करना चाहता है।
राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री ने किया सम्मानित
तुहिन ने बताया कि उसने खुद इंटरनेट पर देश में बेस्ट इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए कोटा का चयन किया। पहले कोटा और फिर यहां के इंस्टीट्यूट के बारे में इंटरनेट पर जानकारी ली। और एलन कोचिंग इंस्टीट्यृट में एडमिशन लेने का मन बनाया। इस बारे में अपने माता-पिता को बताया। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के सहयोग से तुहीन का न्यूरोपैथी के जरिए मुंबई के प्रसिद्ध डॉ.लाजपत राय मेहरा के मुंबई स्थित सेंटर में इलाज करवाया। इसके बाद डॉ.मेहरा द्वारा प्रशिक्षित टीम मैंबर्स ने तुहिन को थैरेपी दी। परिजनों को थैरेपी देना सिखाया। इस थैरेपी के बाद तुहिन ने शरीर में बदलाव भी महसूस किया। 11 मार्च 1999 में जन्मे तुहिन ने कक्षा 9 तक आईआईटी खड़गपुर कैम्पस स्थित सेन्ट्रल स्कूल में पढ़ाई की और एनटीएसई में भी स्कालर बना। सी, सी, जावा, एचटीएमएल लैंग्वेज में प्रोग्रामिंग भी सीखा हुआ है। पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने कई पुरस्कार दिए। इसके अलावा मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012 में बेस्ट क्रिएटिव चाइल्ड अवार्ड तथा 2013 में एक्सेप्शनल अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। दोनों पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति स्व.प्रणव मुखर्जी ने तुहिन को दिए। इसके अलावा कोटा में शिक्षक दिवस के अवसर पर 2018 में आयोजित कार्यक्रम में शिक्षा-संघर्श और शोर्य के सम्मान के तहत केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी तुहिन को सम्मानित किया ।
बेटे का सपना पूरा करने के लिए माता-पिता साथ रहे
पिता समीरन डे प्रोपर्टी एजेंट के रूप में का छोटा व्यवसाय करते थे, पिछले कुछ वर्षों से तुहिन के साथ हैं, ऐसे में व्यवसाय छूटा हुआ है। मां सुजाता डे गृहिणी हैं। पिता समीरन ने बताया कि तुहिन के इलाज में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। कोलकाता व वैल्लूर में कई वर्षों तक इलाज करवाया। वर्तमान में कैलीपर्स बदलते हैं। अब तक 20 आपरेशन हो चुके हैं। तुहिन की मां सुजाता ने बताया कि कोटा में जो साथ मिला उसे जीवनभर नहीं भूल सकेंगे। यदि हमें यहां इतना साथ नहीं मिलता तो शायद तुहिन का सपना पूरा नहीं होता।