Rajasthan : खर्च बचाने का संदेश देने के लिए बस चालक ने एक साथ की 6 बेटियों की शादी
तीन अलग-अलग गांवों से आई बारात। गांव के लोगों ने भी मदद की। शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी। अंजू और निक्की ने ब्यूटीशियन कॉर्स योगीता और संगीता ने बीएससी जबकि सीमा और मीना ने शास्त्री की शिक्षा ग्रहण की। दो साल पहले तलाश। सामूहिक विवाह बचत के लिए लाभदायक।
जागरण संवाददाता, जयपुर : राजस्थान में झुंझुनूं जिले के चिराना गांव में एक बस चालक ने अपनी 7 में से 6 बेटियों की शादी एक साथ बुधवार को की । शादी से पहले सभी 6 बहनों की घोड़ी पर बिंदौरी निकाली गई। बस चालक रोहिताश्व गुर्जर की 6 बेटियों की शादी में बारात 3 अलग-अलग गांवों से आई। रोहिताश्व गुर्जर का बेटा विकास स्काउट्स में राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित हो चुका है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इस परिवार ने ग्रामीणों को नि:शुल्क मास्क वितरित कर महामारी से बचने का संदेश भी दिया था।
गांव के लोगों ने भी मदद की
रोहिताश्व का कहना है कि उसने बेटियों की शादी तय करने के बाद लड़के वालों से बात कर तय किया कि बेवजह का खर्च कम करने के लिए एक साथ सभी के फेरे करवाए जाएं। लड़के वाले तैयार हो गए और बुधवार को सभी 6 बहनों की एक साथ शादी हुई। बचत का संदेश देने में गांव के लोगों ने भी मदद की।
शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी
बारात का स्वागत ग्रामीणों ने किया । विदाई के समय रोहिताश्व के स्वजनों के साथ ही गांव के लोग भी मौजूद थे। रोहिताश्व ने बताया कि बस चलाकर उसने बेटियों को शिक्षित बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी । दो बेटियां सीमा और मीना ने स्नात्तकोत्तर और शिक्षा शास्त्री की शिक्षा ग्रहण की।
ब्यूटीशियन का कॉर्स कर रखा है
वहीं दो अन्य अंजू और निक्की ने स्नात्तकोत्तर के साथ ब्यूटीशियन का कॉर्स कर रखा है। योगीता और संगीता ने बीएससी कर रखी है। उन्होंने बताया कि अभी एक और बेटी कृपा अविवाहित है। वह बीएससी तक शिक्षा ग्रहण कर चुकी है। कृपा सरकारी भर्ती में शिक्षक बनने के बाद ही शादी करना चाहती है।
दो साल पहले शुरू की थी तलाश
रामेश्वर ने बताया कि दो साल पहले उसने अपनी बेटियों की शादी के लिए लड़कों की तलाश शुरू की थी। इस काम में उसने अपने समाज के लोगों और अन्य परिचितों की मदद ली । आखिर में बेटियों को तय किए गए लड़कों से मिलवाया। वह आपस में तैयार हो गए तो शादी की तारीख तय की ।
कमजोर वर्ग की मदद हो सकती
सभी 6 वर पक्ष के लोग भी एक साथ शादी करने के लिए तैयार हो गए। रामेश्वर का कहना है कि वह समाज और गांव के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करने का काम करेंगे कि अगर सामूहिक विवाह किया जाए तो खर्चा बचेगा, जिस पैसे की बचत होगी उसका उपयोग समाज के कमजोर वर्ग की मदद के लिए किया जा सकता है।