Rajasthan: दस साल बाद मध्यप्रदेश के जंगल से रणथंभौर वापस लौटा टाइगर, पहचान टी-38 के रूप में हुई
करीब 10 साल से यह टाइगर रणथंभौर के बाहर करीब 100 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश की की कूनो पालपुर के जंगल में रह रहा था। साल 2014 की बाघों की गणना में इस बाघ का एक फोटो कैमरा ट्रैप में कूनो पालपुर के जंगल में आया था।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में करीब 10 साल बाद एक टाइगर मध्यप्रदेश से वापस लौटा है। पिछले दिनों रणथंभौर के चिरौली इलाके में इस टाइगर ने दस्तक दी। कैमरा ट्रैप में जब इस टाइगर की मौजूदगी दर्ज हुई तब शुरुआत में इसे पहचाना नहीं जा सका। लेकिन जब पुराना रिकॉर्ड खंगाला गया तो सभी यह देखकर हैरान रह गए यह तो टाइगर टी-38 है, जो साल 2010 में रणथंभौर से निकलकर चंबल के बीहड़ों में होता हुआ मध्य प्रदेश जा पहुंचा था। तब यह बाघिन टी-13 के दो शावकों में से एक था। इसे रणथंभौर में दूसरे बाघों के दबाव में इसे अपना इलाका छोड़ना पड़ा था।
करीब 10 साल से यह टाइगर रणथंभौर के बाहर करीब 100 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश की की कूनो पालपुर के जंगल में रह रहा था। साल, 2014 की बाघों की गणना में इस बाघ का एक फोटो कैमरा ट्रैप में कूनो पालपुर के जंगल में आया था। उसके बाद से ही यह पाल मध्य प्रदेश में रह रहा था। वैसे तो कई टाइगर रणथंभौर से बाहर निकल कर कर मध्य प्रदेश का रुख कर चुके हैं, लेकिन यह अपने आप में पहला प्रमाण है जब कोई टाइगर 10 साल बाद वापस आया है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर टी.सी वर्मा ने बताया कि यह बाघ साल 2010 में मध्य प्रदेश चला गया था। उसके बाद पिछले दिनों के चिरौली इलाके के कैमरा ट्रैप में इस टाइगर की फोटो आई है। 19 अक्टूबर को रणथंभौर की कुंडेरा रेंज में इस टाइगर की फोटो आयी थी। शुरू में इसे कोई अनजान टाइगर के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन रणथंभौर के पुराने रिकॉर्ड से जब पुष्टि की गई तो इसका मिलान टी-38 से हुआ है। टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार में बाघिन टी-13 के दो शावक में से एक टी-38 था। इसी टाइगर की बहन टी39 जिसे नूर के नाम से जाना जाता है वो तब से यही है।