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राजपूत समाज के नारे "कमल का फूल हमारी भूल " और "वसुंधरा मुक्त राजस्थान "

5 माह बाद होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मिशन 180 की राह में राजपूत समाज मुश्किल पैदा कर रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 02:19 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 10:23 AM (IST)
राजपूत समाज के नारे "कमल का फूल हमारी भूल " और "वसुंधरा मुक्त राजस्थान "

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। करीब 5 माह बाद होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के "मिशन-180"की राह में राजपूत समाज मुश्किल पैदा कर रहा है। पिछले दो साल से राज्य सरकार से नाराज चल रहे राजपूत समाज ने अब "वसुंधरा मुक्त राजस्थान" और "कमल का फूल हमारी भूल "नारे दिए है।

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राजपूत समाज ने प्रदेश के सभी जिलों में वसुंधरा धिक्कार सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है। इन सम्मेलनों में राजपूत समाज के लोगों को भाजपा को वोट नहीं देने की शपथ दिलाई जाएगी। प्रदेश में राजपूत समाज की सबसे प्रतिष्ठित संस्थान राजपूत सभा भवन के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने बताया कि 24 जून को सीमावर्ती जैसलमेर जिला मुख्यालय पर वसुंधरा धिक्कार सम्मेलन का आयोजिन किया गया है।

इस सम्मेलन में राजपूत समाज के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसके बाद अन्य जिलों में इस तरह के सम्मेलन आयोजित होंगे और फिर चुनाव से ठीक पहले जयपुर में राजपूत समाज के 5 लाख लोगों को एकत्रित कर भाजपा को वोट नहीं देने की शपथ दिलाई जाएगी। राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी का कहना है कि राजपूत समाज चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देगा। उन्होंने कहा कि करणी सेना भाजपा के खिलाफ अभियान चलाकर राजपूत मतदाताओं को एकजुट करने में जुटी है।

दरअसल,राजस्थान की राजनीति में स्व.भैरोंसिंह शेखावत के बाद भाजपा को जो बहुमत और सत्ता सुलभ हुई है वो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दमखम पर हुइ है । वर्ष 2003 में वसुंधरा राजे की "परिवर्तन यात्रा " के बाद हुए विधानसभा चुनाव में 200 सीटों में से 120 सीटों पर भाजपा विजयी हुई थी। इसके बाद वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की "सुराज संकल्प यात्रा " के बाद भाजपा को 163 सीटें मिली।

वसुंधरा राजे के करिश्माई नेतृत्व के चलते स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में भी भाजपा को बड़ी सफलता मिली। लेकिन पिछले दो साल से भाजपा का परम्परागत वोट बैंक राजपूत समाज पार्टी से लगातार दूर होता जा रहा है। 200 में से 50 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाले राजपूत समाज की वसुंधरा राजे सरकार से नाराजगी के कई कारण है।

इनमें प्रमुख कारण जयपुर राजपरिवार की सम्पति राजमहल परिसर पर जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा कब्जा करना,फिल्म पद्मावती प्रकरण,आनंदपाल एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच में समाज के नेताओं से पूछताछ,समुराउ में राजपूत समाज के घर जलाए जाने के बाद दूसरे पक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होना शामिल है ।

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा तय किए जाने के बावजूद वसुंधरा राजे खेमे द्वारा विरोध करना राजपूत समाज की नाराजगी का एक और बड़ा कारण बन गया। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का दावा है कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के कामकाज और वसुंधरा राजे के करिश्माई नेतृत्व के बल पर हम फिर सत्ता में आएंगे ।


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