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Coronavirus Lockdown Effect: तेज धूप में पैदल चलते मजदूरों की व्यथा,जेब और पेट दोनों खाली

तेज धूप में पैदल चलते मजदूरों की व्यथाजेब और पेट दोनों खाली- जयपुर-आगरा राजमार्ग पर सैंकड़ों मजदूर चल रहे पैदल

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 12:21 PM (IST)Updated: Sat, 09 May 2020 12:21 PM (IST)
Coronavirus Lockdown Effect: तेज धूप में पैदल चलते मजदूरों की व्यथा,जेब और पेट दोनों खाली
Coronavirus Lockdown Effect: तेज धूप में पैदल चलते मजदूरों की व्यथा,जेब और पेट दोनों खाली

जयपुर , नरेन्द्र शर्मा। दूसरे राज्यों में फंसी प्रवासी मजदूरों पर कोरोना संक्रमण के कारण दोहरी मार पड़ रही है। लॉकडाउन में फंसे मजदूर अपने राज्यों की तरफ जा रहे हैं  इन्ही मजूदरों में शामिल चार परिवारों के 17 लोग राजस्थान के नागौर जिले में एक सीमेंट प्लांट व नमक उघोग में मजदूरी करते थे,लेकिन जैसे ही लॉकडाउन हुआ तो वे बेरोजगार हो गए। कुछ दिन वहीं रहे, लेकिन जब लॉकडाउन खत्म होता नजर नहीं आया तो ये पैदल ही अपने गृह राज्य की तरफ निकल गए। दो दिन तक पैदल चलने के बाद ये लोग शुक्रवार शाम जयपुर पहुंचे।

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जयपुर में एक ओवर ब्रिज के नीचे रात गुजारने के बाद शनिवार सुबह फिर पैदल ही अपने घर के लिए रवाना हो गए। उत्तरप्रदेश के आगरा और मथुरा जिले के इन मजदूरों के साथ छह छोटे बच्चे भी है। केद्र सरकार ने ट्रेन चलाई तो उसमें इन्हे जगह नहीं मिल पाई,राजस्थान सरकार ने शेल्टर होम बंद कर दिए। अब ये दिनभर पैदल चलते हैं और रात को सड़क के किनारे ही सो जाते हैं।

जयपुर के आगरा रोड़ पर तपती धूप में पैदल चल रहे इन मजूदरों का कहना है कि अचानक काम बंद होने से पूरा वेतन नहीं मिला। ठेकेदार के माध्यम से मजदूरी पर लगे थे। अचानक ठेकेदार गायब हो गया तो उससे अपनी बाकी मजदूरी भी नहीं ले सके। कुछ दिन इंतजार किया,लेकिन जब काई उम्मीद नहीं दिखी तो पैदल ही अपने घर की तरफ चल दिए। 17 लोगों के इस समूह में शामिल आगरा जनपद के अछनेरा निवासी रामनरेश जाटव,उसकी पत्नी सुंदरी व गया निवासी जगन्नाथ का कहना है कि हमारी हालात बहुंत खराब है,स्थिति यह हे कि पेट और जेब दोनों खाली है।

पत्थर का चुल्हा बनाकर पकाते हैं भोजन

मजदूरों का कहना है कि रास्ते में कहीं कोई दान दाता मिल जाता है तो उससे मिलने वाली सामाग्री बच्चों को खिला देते हैं। इसी समूह में शामिल रमेश का कहना है कि परदेश में भूखे मरने से अच्छा है अपने गांव जाकर मरें। नागौर से ढ़ाई सौ किलोमीटर पैदल चलकर जयपुर पहुंचे इन मजदूरों को अभी करीब 300 किलोमीटर और चलना है। कंधे पर छोटे बच्चे को बिठाए रमेश बोला साथ में कुछ आटा और नमक-मिर्च लेकर निकले थे,रास्ते में पत्थर का चुल्हा बनाकर रोटी बना लेते हैं। ईंधर-उधर से झाडिंयों को एकत्रित कर चुल्हा जल जाता है ।

सरकार नहीं कर रही मदद

इन मजूदरों ने अपनी पीड़ा जताते हुए कहा कि पहले तो सुना था यहां के मुख्यमंत्री ने मजदूरों को रोटी-पानी का इंतजाम करने के लिए कहा है। लेकिन हमें तो ऐसा कुछ नहीं मिला।नागौर से रवाना होने से पहले वहां के अफसरों से मदद मांगी तो कोई जवाब नहीं मिला। सुना था सरकार ने ट्रेन और बस चलाई है,लेकिन हमें तो वो भी नहीं मिली। अब तो हमें पैदल ही चलना है और दो दिन चलेंगे तो अपने घर पहुंच जाएंगे।

सरकार ने शेल्टर होम बंद किए

राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन के पहले और दूसरे फेज में तो शेल्टर होम का संचालन किया। लेकिन लॉकडाउन का तीसरा फेज शुरू होते ही ये शेल्टर होम बंद कर दिए गए। राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री भंवरलाल मेघावाल का कहना है कि अधिकांश मजदूर यहां से जा चुके तो अब शेल्टर होम चलाने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि जिलों में राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है। 


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