Move to Jagran APP

Rajasthan Political Crisis: राजस्थान कांग्रेस में फिर होने लगी खींचतान, विधायकों को खुश करने में जुटे गहलोत

राजस्थान कांग्रेस में फिर होने लगी खींचतान विधायकों को खुश करने में जुटे गहलोत पायलट को चिंताअब उनके समर्थकों को कैसे मिलेगी सत्ता में भागीदारी इसी साल जुलाई में सचिन पायलट की बगावत के बाद विवाद थामने का जिम्मा दिग्गज नेता अहमद पटेल को सौंपा गया था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 10:01 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 10:01 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान कांग्रेस में फिर होने लगी खींचतान, विधायकों को खुश करने में जुटे गहलोत
राजस्थान कांग्रेस में फिर होने लगी खींचतान

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर आपसी खींचतान शुरू होने लगी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने-अपने खेमों को मजबूत करने में जुटे हैं। इसी साल जुलाई में सचिन पायलट की बगावत के बाद विवाद थामने का जिम्मा दिग्गज नेता अहमद पटेल को सौंपा गया था। काफी मशक्कत के बाद अहमद पटेल ने गहलोत व पायलट खेमे के बीच विवाद को शांत कराया।

loksabha election banner

अहमद पटेल के प्रयासों से गहलोत सरकार बची थी। उस समय अहमद पटेल ने पायलट खेमे को राज्य सरकार में सम्मान और भागीदारी देने का आश्वासन दिया था। अहमद पटेल की सलाह पर ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन वरिष्ठ नेताओं की कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में खुद अहमद पटेल, संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल व राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन को शामिल किया गया था।

राज्य में सत्ता और संगठन में तालमेल, मंत्रिमंडल के विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों सहित सभी काम इस कमेटी को सौंपे गए थे। कमेटी की दो बैठक हुई और यह तय किया गया था कि दिसंबर में मंत्रिमंडल का विस्तार व राजनीतिक नियुक्तयों का काम पूरा हो जाएगा,इसमें पायलट समर्थकों को महत्व दिया जाएगा। लेकिन अब जब अहमद पटेल नहीं रहे तो प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में बेचैनी बढ़ने लगी है।

गहलोत और उनके समर्थकों में इस बात की बेचैनी है कि अब कहीं एक बार फिर बगावत जैसी स्थिति नहीं हो जाए। मंत्रिमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तयां नहीं होने से विधायकों में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। गहलोत खेमे को चिंता है कि कहीं यही नाराजगी सरकार को भारी नहीं पड़ जाए। हालांकि मुख्यमंत्री विधायकों को खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।

विधायकों की तर्ज पर अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले हो रहे हैं। यहां तक की जिल कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक तक विधायकों की सिफारिश पर हटाए और लगाए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि विधायक हावी हो गए। उधर पायलट खेमे में इस बात की बेचैनी है कि अहमद पटेल के नहीं रहने से अब उनकी समस्याओं का समाधान कौन करेगा। बगावत थामते समय उनसे किए गए वादे कौन पूरा करेगा।

गहलोत उन्हे सरकार में भागीदारी देेंगे या नहीं। पायलट को इस बात की चिंता भी है कि गहलोत अगर मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीति नियुक्तियों के काम में देरी करते हैं तो कहीं उनके समर्थक विधायकों में टूट नहीं हो जाए।

पांच माह से नहीं है कार्यकारिणी

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर अपने विश्वस्त गोविंद सिंह डोटासरा की नियुक्ति कराने के साथ ही गहलोत ने सरकार के साथ ही संगठन पर पकड़ मजबूत करने की चाल चली है, लेकिन आपसी खींचतान के करीब पांच माह से कार्यकारिणी तक नहीं बन सकी।

प्रदेश से लेकर जिला व ब्लॉक स्तर तक कांग्रेस संगठन में कोई पदाधिकारी नहीं है। बगावत के समय सभी कार्यकारिणी भंग कराकर गहलोत ने संगठन से पायलट की छाप को हटाने की चाल चली थी। लेेकिन अब गहलोत व पायलट के बीच इस हद तक खींचतान बढ़ गई कि नियुक्तियां होना ही मुश्किल हो रहा है। इस मामले में डोटासरा का कहना है कि संगठन में इसी माह नियुक्तियां होगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.