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Rajasthan : बढ़े हुए तापमान के कारण बुवाई ने नहीं पकड़ा जोर, बुवाई से डर रहे हैं किसान

कृषि विभाग तथा विशेषज्ञों द्वारा भी अभी किसानों को कुछ दिन और इंतजार करने की सलाह दी जा रही है। रबी की बुवाई के लिए 23 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है लेकिन अभी भी तापमान 35-36 डिग्री पर बना हुआ है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 11:47 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 11:47 AM (IST)
Rajasthan : बढ़े हुए तापमान के कारण बुवाई ने नहीं पकड़ा जोर, बुवाई से डर रहे हैं किसान
रबी की फसल बुवाई का सीजन अक्टूबर से शुरू हो चुका है

जयपुर, जागरण संवाददाता। रबी की फसल बुवाई का सीजन एक अक्टूबर से शुरू हो चुका है, लेकिन बढ़े हुए तापमान की वजह से बुवाई ने अभी तक जोर नहीं पकड़ा है। अक्टूबर का एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद भी अभी तक दिन के तापमान में खास कमी नहीं आई है। यही कारण है कि किसान बीज जलने की आशंका से अभी बुवाई करने से डर रहे हैं।

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कृषि विभाग तथा विशेषज्ञों द्वारा भी अभी किसानों को कुछ दिन और इंतजार करने की सलाह दी जा रही है। रबी की बुवाई के लिए 23 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है, लेकिन अभी भी तापमान 35-36 डिग्री पर बना हुआ है। रबी फसलों में सरसों की बुवाई जल्दी शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार तापमान की तल्खी के चलते इसमें देरी हो रही है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा तापमान कम होने तक किसानों को खेत तैयार करने की सलाह दी जा रही है। कुछ दिनों में तापमान कम होने के बाद अगले सप्ताह से बुवाई शुरू होने की उम्मीद है।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक रबी फसल की बुवाई जमीन में नमी और तापमान पर निर्भर करती है। बढ़े हुए तापमान में बुवाई करने से फसल जलने और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका रहती है। नमी कम होने पर बुवाई करने से किसानों की बीज लागत बढ़ जाती है। वहीं ज्यादा तापमान में जहां बीज के अंकुरण में दिक्कत आती है वहीं इसके खराब होने की आशंका भी बनी रहती है। ज्यादा समय तक तापमान में बढ़ोतरी रहने का असर बुवाई के रकबे पर भी पड़ सकता है।

मौसमी कारणों के चलते सरसों की बुवाई का रकबा पिछले कुछ सालों से लगातार कम हो रहा है। मौसम की अनुकूलता होने पर आम तौर पर सितंबर अंत से सरसों की बुवाई शुरू हो जाती है। रबी सीजन में इस बार प्रदेश में 98.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का टारगेट रखा गया है।

कृषि विभाग के मुताबिक रबी सीजन में 32 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई संभावित है। वहीं 16 लाख हैक्टेयर में चना और 3 लाख हैक्टेयर में जौ की बुवाई संभावित है। 


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