Move to Jagran APP

Soldier: राजस्थान के दशरथ सिंह ने 16 साल सेना की नौकरी के बावजूद हासिल की 51 डिग्रियां

soldier Dasharatha Singh. भारतीय सेना का जवान डाॅ दशरथ सिंह अब तक करीब 51 डिग्री हासिल कर चुका है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 02:22 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:12 PM (IST)
Soldier: राजस्थान के दशरथ सिंह ने 16 साल सेना की नौकरी के बावजूद हासिल की 51 डिग्रियां
Soldier: राजस्थान के दशरथ सिंह ने 16 साल सेना की नौकरी के बावजूद हासिल की 51 डिग्रियां

जयपुर, मनीष गोधा। पंजाब, कश्मीर, असम जैसे इलाकों में सेना की कठिन नौकरी के बावजूद पढ़ाई का ऐसा जुनून कि 51 डिग्रियां, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल कर लिए। यह उपलब्धि हासिल की राजस्थान के जांबाज सिपाही रहे डाॅ. दशरथ सिंह ने। इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकाॅर्डस में हाल में उनका नाम “मोस्ट एजुकेशनली क्वालिफाइड पर्सन ऑफ द वर्ल्ड“ यानी विश्व के सबसे ज्यादा शैक्षणिक योग्यता वाले व्यक्ति के रूप में दर्ज किया है। इस रिकाॅर्ड बुक ने उनकी 36 डिग्रियां को उनके नाम के साथ रिकाॅर्ड बुक में शामिल किया है। गिनीज बुक के लिए भी उन्होंने आवेदन किया हुआ है और उनके गिनीज बुक की ओर से उनके दावे की जांच की प्रक्रिया चल रही है।

loksabha election banner

डाॅ दशरथ सिंह अब तक मुख्य रूप से भूमि सुधार विषय पर पीएचडी, 15 विषयों में मास्टर्स, आठ में स्नातक, विधि से संबंधित 11 और सेना से संबंधित आठ विषयों में डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा उनका चयन राजस्थान में द्वितीय श्रेणी शिक्षक और राजस्थान प्रशासनिक सेवा में भी हो चुका है, लेकिन वे इन सरकारी सेवाओं को छोड़ कर इन दिनों सेना के दक्षिण पश्चिम कमान में विधि परामर्शी का काम कर रहे हैं और सेना के साथ ही सैनिकों के कानूनी विवाद भी सुलझा रहे हैं।

सेना में राजस्थान से सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाले झुंझुनू जिले की नवलगढ़ तहसील के खिरोडसर गांव के रहने वाले दशरथ सिंह ने 16 वर्ष तक लगातार सेना में फील्ड ड्यूटी दी है। सेना की नौ राजपूताना रेजिमेंट के सैनिक रहे दशरथ सिंह को पहली पोस्टिंग पंजाब में मिली थी। इसके बाद उल्फा आंदोलन के दौरान असम में रहे। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय राइफल्स के पहले बैच में शामिल कर कश्मीर भेज दिया गया। यहां डोडा जैसे आतंकवाद ग्रस्त क्षेत्र में उन्होंने साढ़े तीन साल निकालेे। लगातार फील्ड ड्यूटी के बाद उन्हें कुछ समय के लिए लखनऊ भेजा गया, लेकिन इसी दौरान संसद पर हमले की घटना हुई तो इन्हें वापस कश्मीर भेज दिया गया और बाद में ये कारगिल युद्ध में शामिल रहे। करीब 16 साल तक सेना की सेवा करने के बाद ये सेना से रिटायर हो गए।

दशरथ सिंह ने बताया कि पढ़ने का शौक बचपन से ही था, लेकिन पैसा नहीं था। दादा और पिता भी सेना में थे, लेकिन परिवार काफी बड़ा था। दसवीं तो कर ली, लेकिन काॅलेज में प्रथम वर्ष के बाद ही सेना में चला गया। सेना में रहते हुए भी यह कसक रही कि पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। बस इसी कमी को पूरा करने के लिए लगातार पढ़ाई का सिलसिला शुरू किया। पहली डिग्री बैचलर ऑफ आर्टस की ली और इसके बाद से लगातार पढ़ाई  का सिलसिला जारी है। आखिरी डिग्री समाजशास्त्र में एमए की ली है और अभी गांधी पीस स्टडीज में डिप्लोमा कर रहा हूं।

दशरथ सिंह ने एलएलबी, एलएलएम, बीजेएमसी और बीएड की डिग्री नियमित छात्र के रूप में ली है, बाकी डिग्री और डिप्लोमा इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा ओपन यूनिवर्सिटी, जैन विश्व भारती लाडनूं और दो-तीन निजी विश्वविद्यालयों से प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि सेना की सेवा के दौरान तो एक ही विश्वविद्यालय की परीक्षा देता था, लेकिन अब दो-तीन पाठयक्रम एक साथ चलते हैं। वे अब तक 500 से ज्यादा परीक्षाएं दे चुके हैं और लगभग सभी एक बार में 50 से 75 प्रतिशत अंकों के साथ पास की है।

उन्होंने बताया कि सेना में रहते हुए दो महीने की छुट्टी हर साल मिलती है। मैं यह छुट्टी मई या जून में ही लेता था। इसी दौरान सब जगह परीक्षाएं होती हैं, इसलिए घर आकर पढ़ाई और परीक्षाएं देने का ही काम रहता था। सेना में नौकरी के दौरान कभी होली-दिवाली या अन्य त्योहारों के लिए छुट्टी नहीं ली। रिटायरमेंट के बाद तो पढ़ाई ही सब कुछ हो गई। सरकारी नौकरी मिली, लेकिन लगा कि समाज और परिवार से दूर रह कर देश की सेवा करने वाले सैनिकों के लिए कुछ करना चाहिए, क्योंकि सैनिक जब रिटायर हो कर घर लौटता है तो उसे कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है और यह ज्यादातर कानूनी पचड़ होते हैं, जो सैनिको को समझ नहीं आते। इसीलिए कानून की डिग्री हासिल कर वकालत शुरू कर दी। दो वर्ष पहले सेना ने बुला लिया और अब जयपुर में सेना की सप्तशक्ति कमांड में विधि परामर्शी के रूप में सेना, सैनिकों और पूर्व सैनिकों से जुड़े मामले देखता हूं। उनका कहना है कि अब तक 250 से ज्यादा सैनिकों के केस लड़े हैं और ज्यादातर में सफलता हासिल हुई है।

राजस्थान की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.