जनसमस्याओं के समाधान को बेताब विधायक जनसुनवाई का बनाया रोडमैप
सुरेश टांक विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों को शिकस्त देकर करीब 17 हजार से अधिक मतों से चुने गए थे।
अजमेर, जेएनएन। राजस्थान सरकार के नवगठन के साथ ही जहां कांग्रेस के विधायक जनता को भूलकर सरकार से लाभ के पद पाने और अपने चहेतों को पुरस्कृत कराने की दौड़-धूप में लगे हैं इसी बीच राजस्थान में मार्बल नगरी के नाम से प्रसिद्ध किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायक सुरेश टांक जनसमस्याओं के समाधान के लिए बेताब नजर आ रहे हैं।
सुरेश टांक विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों को शिकस्त देकर करीब 17 हजार से अधिक मतों से चुने गए थे। टांक ने स्वयं को जनता का प्रतिनिधी घोषित कर ही चुनाव लड़ा था तो वे अब जीतने के बाद जनता के विश्वास पर खरा उतरने में कोई कमी नहीं रख छोड़ रहे। जहां अन्य विजयी विधायक अपने स्वागत सम्मान आयोजनों में व्यस्त नजर आ रहे हैं सुरेश टांक ने क्षेत्र के विकास के लिए विजन तैयार कर जनसमस्याओं की सुनवाई का रोडमैप बना लिया है।
सुरेश टांक ने बताया कि उन्होंने हर माह में कोई दिन निश्चित कर लिया है जबकि वे पंचायत समिति क्षेत्र में जाकर जनसुनवाई करेंगे और जनता की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि अंराई पंचायत समिति में प्रत्येक माह के पहले गुरुवार को जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसी तरह सिलौरा पंचायत समिति क्षेत्र में, नगर परिषद क्षेत्र में यहां तक कि पंचायत हैड क्वार्टर पर भी रात्रि विश्राम कर लोगों की समस्याओं की सुनवाई की जाएगी और उसके अनुसार प्रशासनिक कारिंदों एवं सरकार से कार्यकराए जाने के प्रयास किए जाएंगे।
सुरेश टांक ने बताया कि अंराई में आयोजित जनसुनवाई में लोगों की ख़ाद्य सुरक्षा कार्ड, कृषि कनेक्शन, पेयजल आपूर्ति, आदि से संबंधित समस्याएं मिली हैं। इनके समाधान के लिए प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। टांक ने कहा कि वे पांच वर्ष में मतदाताओं को बताएंगे कि उनका जनप्रतिनिधि किस तरह से सेवाभावी होना चाहिए। बिना किसी भेदभाव के वे किशनगढ़ का विकास करेंगे। चूंकि वे मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं इसलिए उन्हें मार्बल उद्यमियों और श्रमिकों की समस्याओं का भी पता है। उनका प्रयास होगा कि दोनों ही वर्गों की समस्याओं का समाधान तत्परता से किया जाए।
गौरतलब है कि मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर टांक का राजनीतिक महत्व दोनों दलों में बढ़ गया है। विधानसभा चुनाव से पहले टांक भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य थे, लेकिन उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर टांक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।