Rajasthan Politics: बागी विधायक आलाकमान से बोले- गहलोत गांधीवादी होने का दिखावा करते हैं
बागी विधायक आलाकमान से बोले गहलोत गांधीवादी होने का दिखावा करते हैं एनआईए की सही जांच के भय से वापस लिया राजद्रोह मामला
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की सियासी जंग के बीच स्पेशल ऑपेरशन ग्रुप (एसओजी ) द्वारा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायकों के खिलाफ दर्ज किया गया राजद्रोह का मामला वापस लिए जाने के बाद बागी विधायकों ने इसे मुद्दा बना लिया है।
एसओजी द्वारा दर्ज किए राजद्रोह के मामले को पूरी तरह सही बताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि अगर यह गलत हुआ तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। अब बागी कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और हेमाराम चौधरी ने सीएम गहलोत ने पूछा है, आप कब राजनीति छोड़ रहे हो। इन दोनों वरिष्ठ विधायकों का कहना है कि मामला झूंठा था तब ही तो इसे वापस लिया गया।
उन्होंने कहा कि गहलोत अपने राजनीतिक विरोधियों को झूंठे मामले में फंसाना चाहते थे, लेकिन जब एनआईए से जांच की मांग की गई तो अपनी किरकिरी होने से बचाने के लिए सरकार ने यह मामला वापस लिया। गहलोत सरकार द्वारा राजद्रोह का केस वापस लिए जाने के बाद बागी विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं तक अपना संदेश पहुंचाया है कि गहलोत अपने राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए राजद्रोह का केस लगा रहे थे, लेकिन जब उन्हे लगा कि एनआईए जांच होगी तो उनकी खुद की गई कमियां पकड़ी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार इन विधायकों ने आलाकमान से कहा है कि गहलोत गांधीवादी होने का दिखावा करते हैं लेकिन वे अपने राजनीतिक विरोधियों को पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं। इसके लिए झूंठे केस तक बनवा देते हैं ।
अफसरों के खिलाफ दर्ज कराने की तैयारी में विधायक
सूत्रों के अनुसार बागी विधायकों ने पिछले दो दिनों मे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों से झूठा मामला बनाने वाले एसओजी के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने को लेकर विचार-विमर्श किया है। बागी विधायकों का कहना है कि एसओजी के अधिकारियों ने सीएम गहलोत के दबाव में उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया, इससे हमारी छवि को नुकसान हुआ है।
उल्लेखनीय है कि एसओजी ने सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर बिना किसी जांच के 10 जुलाई से 3 अगस्त के बीच राजद्रोह के तीन मामले दर्ज किए थे । इनमें एक मामला विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर था जिसमें सचिन पायलट सहित बागी विधायकों को इस मामले के तहत नोटिस जारी किया गया था । दूसरा मामला भी इन्ही विधायकों व खरीद-फरोख्त मामलेमें गिरफ्तार किए गए भरत लालवानी व अशोक सिंह के खिलाफ दर्ज किया गया था। तीसरा मामला कथित रूप से सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो को लेकर दर्ज किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, विधायक भंवरलाल शर्मा, विश्वेंद्र सिंह व मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले संजय जैन के बीच बातचीत रिकॉर्ड थी ।
एनआईए के भय से बदला निर्णय
सियासी गलियारों में चर्चा है कि भंवरलाल शर्मा की ओर से मामले की जांच एनआईए से कराने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई,क्योंकि आईपीसी की धारा 110 व 130 के तहत दर्ज मामलों को एनआईए अपने हाथ में ले सकती है। एनआईए का सीधा नियंत्रण केंद्र सरकार के पास है। ऐसे में गहलोत सरकार ने सभी तीन मामलों में से राजद्रोह की धारा 124 ए हटाने के साथ ही मामला एसओजी से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को ट्रांसफर कर दिया।