Rajasthan: पर्यटकों के लिए कल से बंद होंगे रणथंभौर व सरिस्का नेशनल पार्क
Ranthambore National Park. मानसून के कारण तीन माह बंद रहने के दौरान अभयारण्य में वन्यजीवों की ब्रीडिंग का श्रेष्ठ समय माना गया है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Ranthambore National Park. राजस्थान में रणथंभौर व सरिस्का नेशनल पार्क सहित सभी अभयारण्य बुधवार से पर्यटकों के लिए बंद हो जाएंगे। अब ये तीन माह बाद एक अक्टूबर को पर्यटकों व वन्यजीव प्रेमियों के लिए खोले जाएंगे। मानसून में हर साल अभयारण्य पर्यटकों के लिए बंद रहते हैं। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण करीब तीन माह बंद तक अभयारण्य पर्यटकों के लिए बंद रहे थे। अनलॉक-01 शुरू होने के बाद आठ जून को अभयारण्य पर्यटकों के लिए खोले गए थे। मानसून के कारण तीन माह बंद रहने के दौरान अभयारण्य में वन्यजीवों की ब्रीडिंग का श्रेष्ठ समय माना गया है। इस दौरान जंगल में मानवीय गतिविधियां पूरी तरह से बंद रहती है। वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस दौरान बाघों का कुनबा भी बढ़ सकता है।
गौरतलब है कि राजस्थान में अब विदेशी प्रजाति के जीव-जंतुओं को पालने वालों को इनका वन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन कराए बिना जीव-जंतुओं को पाला नहीं जा सकेगा। इसके लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है। विदेशी जीव-जंतु रखने वालों को इनके बारे में 6 माह में जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। वन विभाग की ओर सेजारी एडवाइजरी में कहा गया है कि विदेशी जीव-जंतुओं को पालने, प्रजनन करने या उनके कारोबार की घोषणा करने के साथ ही और रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वन विभाग ने इसके लिये एक फॉर्मेट जारी किया है, जिसके मुताबिक इसके लिए राज्य के मुख्य वन्य-जीव प्रतिपालक की अनुमति अनिवार्य कर दी गयी है । विदेशों से लाए गए पक्षियों में मुख्य रूप से लव बर्ड्स, मकाऊ तोता, अफ्रीकी तोते, चूहे , विदेशी कछुए व विदेशी छिपकली आदि शामिल है। अब तक इनका कोई रिकॉर्ड वन विभाग में नहीं होता था। बस केवल इतनी जानकारी होती थी कि लोग विदेशी जीव-जंतु पालते हैं।
भारतीय नहीं होने के कारण अभी तक ये वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के दायरे से बाहर हैं, लेकिन अब इन विदेशी प्रजातियों के जीवों का लेखा-जोखा भी वन विभाग अपने पास रखेगा। ऐसे जीव जंतुओं की आधिकारिक तौर पर घोषणा के लिए वन विभाग सभी को 6 महीने का समय देगा। अगर इस दौरान कोई अपने पास मौजूद ऐसे की जानकारी छुपाएगा तो उसके पास मौजूद ऐसे वन्य जीवों को गैर-कानूनी माना जाएगा । वन विभाग की ओर जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक, इस योजना के माध्यम से प्रदेश में विदेशी प्रजातियों के जीवित जीव-जंतुओं की सूची बनेगी।