राजस्थान महिला आयोग में दो साल से नहीं है अध्यक्ष और सदस्य
राजस्थान में पिछले दो साल से महिला आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली होने से महिलाओं को न्याय नहीं हो रहा है। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने से आयोग में लम्बित प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में पिछले दो साल से महिला आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली होने से महिलाओं को न्याय नसीब नहीं हो रहा है। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने से आयोग में लम्बित प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देश में दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में हैं।
पुलिस के आंकड़े कहते हैं कि साल 2020 के शुरुआती 8 महीनों में महिलाओं संबंधी अपराध के राज्य में 22 हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं। इस वर्ष के पिछले 8 महीनों में महिला उत्पीड़न और अत्याचार के करीब 8500 मुकदमें दर्ज हुए है, जबकि दुष्कर्म के करीब 3500 मुकदमें और छेड़छाड़ तथा जबरदस्ती करने के करीब 5800 मुकदमें दर्ज हुए हैं।
आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा का कहना है कि महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है और थानों में महिलाओं की प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की जा रही है। आयोग में अध्यक्ष और सदस्य होते हैं तो उनका दबाव सरकारी मशीनरी पर रहता है जो अब नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकताओं में महिला सुरक्षा का बिन्दू शामिल था, लेकिन महिलाओं को न्याय देने वाली प्रमुख संस्था ही सरकार की उपेक्षा झेल रही है।
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ममता शर्मा का कहना है कि आयोग में अध्यक्ष का पद इतने लम्बे समय खाली रहना गंभीर चिंता का विषय है। ममता शर्मा का यह भी कहना है कि महिला आयोग को सिविल कोर्ट की शक्तियां है। इसका पुलिस और अन्य संस्थाओं पर दबाव रहता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराधों की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल 8 महीनों में दर्ज 22 हजार में से करीब 8 हजार प्रकरणों की जांच पेंडिग चल रही है, यानि करीब 37 प्रतिशत मामलों की जांच पेंडिंग है।