NEET and JEE exams 2020: नेता-प्रतिपक्ष कटारिया बोले सरकार जिद छोड़कर कराए जेईई और नीट परीक्षाएं
राज्य विधानसभा में नेता-प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम वर्ष की परीक्षा कराना जरूरी बताया है तो सरकार जिद छोडक़र परीक्षा के संचालन पर जुट जाना चाहिए।
जागरण संवाददाता, उदयपुर। राज्य विधानसभा में नेता-प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार एक ही मुद्दे पर अलग-अलग रखती है। ऐसे में इस(सरकार पर विश्वास कैसे किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने भी अंतिम वर्ष की परीक्षा कराना जरूरी बताया है तो उन्हें अपनी जिद छोडक़र जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं के संचालन में जुट जाना चाहिए।
उदयपुर के भाजपा जिला कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कटारिया ने पूछे गए सवाल को लेकर कहा कि जेईई और नीट का विरोध करने वाली कांग्रेस सरकार आगामी 31 अगस्त को एसटीसी परीक्षा आयोजित करने जा रही है, जिसमें इन परीक्षाओं से भी बड़ी संख्या में विद्यार्थी भाग लेने जा रहे हैं। एक ही विषय उनकी अलग-अलग नीति समझ से परे हैं। यही तरीका उनका जनता के प्रति है।
विरोध छोड़कर परीक्षा के संचालन बारे विचार करना चाहिए
उन्होंने कहा कि जब राजस्थान में बाजार खुले हैं और मंडियां खुली हैं तो वह केन्द्र स्तर पर आयोजित परीक्षाओं का विरोध क्यों कर रही? यहां तक सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों में भी अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को जरूरी बताया है और सितम्बर में यह परीक्षाएं भी होंगी। ऐसे में जेईई और नीट का विरोध छोडक़र इन परीक्षाओं के संचालन के बारे में विचार करना चाहिए।
निजी स्कूलों से कम फीस पर बात करें, फीस तो देनी होगी
नेता-प्रतिपक्ष कटारिया का कहना है कि निजी स्कूलों की फीस को लेकर अभिभावकों को सकारात्मक होना चाहिए। इसमें असमंजस जैसी स्थिति नहीं बननी चाहिए। यह नहीं मानना चाहिए कि स्कूल बंद हैं तो फीस माफ। हां, फीस कम किए जाने पर उनसे बात की जा सकती है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों में भी कई लोग नौकरी करते हैं। उनका घर भी वहां से मिलने वाले वेतन से चलता है। उन्हें वेतन तब ही मिलेगा, जब स्कूलों को फीस मिलेगी।
अभिभावकों को यह मानना चाहिए-उन्हें फीस अवश्य देनी है
बड़ी संख्या में निजी स्कूलों के शिक्षक और कार्मिक बिना वेतन से कई महीनों से रह रहे हैं। उनकी समस्या को लेकर विचार किया जाना भी उतना जरूरी है, जितनी अभिभावकों की बताई जा रही समस्या को लेकर है। हालांकि उन्होंने कहा कि फीस कितनी देनी चाहिए इस पर बात करके सहमति बनाई जा सकती है। अभिभावकों को यह भी स्वीकार कर लेना चाहिए कि उन्हें फीस अवश्य देनी है।