Rajasthan : कछुआ संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए बनाई विशेष कार्य योजना
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की राजस्थान सीमा में कछुओं के संरक्षण को महत्व दिया जाएगा। यहां पहली बार दुर्लभ प्रजाति के कछुए चित्रा इंडिका का नेस्ट मिला है। कछुए के 114 बच्चे मिले हैं जिन्हे चंबल नदी में छोड़ा गया है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की राजस्थान सीमा में कछुओं के संरक्षण को महत्व दिया जाएगा। इसके लिए वन एवं पर्यावरण विभाग ने विशेष कार्ययोजना बनाई है। यहां पहली बार दुर्लभ प्रजाति के कछुए चित्रा इंडिका का नेस्ट मिला है। इसमें कछुए के 114 बच्चे मिले हैं, जिन्हे चंबल नदी में छोड़ा गया है। यहां 2 बच्चे मरे हुए मिले, वहीं 10 अंडे खराब हो गए थे।
विभाग ने योजना बनाई है कि राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी में कछुआ हैचरियों में ग्रामीणों, वन विभाग के कर्मचारियों व विशेषज्ञों की मदद से अंडे तलाशकर हैचरी में प्राकृतिक हैचिंग कराकर कछुओं के बच्चों को पाला जाएगा। इसके बाद 90 दिन बाद इन्हे चंबल नदी में छोड़ा जाएगा।
वन विभाग ने दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को संरक्षित करने के लिए चंबल में नया प्रोजेक्ट शुरू किया है। राज्य वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चित्रा इंडिका छोटे सिर वाला कोमल कवच का कछुआ हरे रंग का होता है। ये शारदा, गंगा, गोदावरी, सिंध, कावेरी व कृष्णा आदि नदियों में मिलते हैं। इनमें सूंघने की क्षमता अधिक होती है। पानी में काफी दूर हुई आहट को ये भांप लेते हैं। इन कछुओं की विशेषता होती है कि पानी में होने वाली हलचल को ये आंखों से भी भांप लेते हैं।
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के उपवन संरक्षक फुरकान अली का कहना है कि प्रदेश के इलाके में चंबल नदी में कछुआ संरक्षण को लेकर 8 लाख रूपए स्वीकृत हुए हैं। आगे और अधिक होने की उम्मीद है। अब हैचरियों में अंडों को चंबल में बने घोसलों में लाकर इनका प्रजनन कराया जाएगा। फिर इनका पालन करने के बाद चंबल नदी में छोड़ा जाएगा। अब तक इन्हे रखने का स्थान तय नहीं था, ऐसे में अंडे नष्ट हो जाते थे। लेकिन अब इस तरह की समस्या नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि अब संरक्षण मिलेगा तो इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।