Rajasthan Politics: कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, भाजपा नेता ने दायर की याचिका
Rajasthan Politics राजस्थान में एक बार अशोक गहलोत समर्थित नेताओं द्वारा इस्तीफा देने का मुद्दा उठ गया है। विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की है जिसमें विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कोई निर्णय नहीं लिए जाने का मुद्दा उठाया गया है।
जयपुर, जागरण संवादाता। राजस्थान में कांग्रेस के 91 विधायकों के इस्तीफों का मामला अब उच्च न्यायालय में पहुंच गया है। राज्य विधानसभा में भाजपा के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने बृहस्पतिवार को वकील हेमंत नाहटा के साथ उच्च न्यायालय में पहुंचकर इस संबंध में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष डा. सी.पी.जोशी विधायकों के इस्तीफों पर निर्णय लें।
याचिका में यह कहा गया
याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस के 91 विधायकों ने 25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे सौंपे थे। इसके बाद 18 और 19 अक्टूबर एवं 21 नवंबर को राठौड़ ने अध्यक्ष से इस्तीफों पर निर्णय करने का आग्रह किया था। इसके बावजूद भी अध्यक्ष ने अब तक इस्तीफों को लेकर कोई निर्णय नहीं किया है। याचिका में कहा गया है कि यदि विधायक स्वयं पेश होकर इस्तीफा देता है तो अध्यक्ष के पास स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं होता है।
इस्तीफे की सच्चाई को लेकर जांच की मांग
याचिका में आगे कहा गया कि सिर्फ इस्तीफा स्वैच्छिक या सही है या नहीं इसकी जांच की जा सकती है। लेकिन यह असंभव है कि विधायकों से जबरन इस्तीफों पर हस्ताक्षर करवाए गए हो या उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हो। विधायकों के इस्तीफे देने के कारण सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस्तीफा देने वाले विधायकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं और बतौर विधायक इनका विधानसभा में प्रवेश रोका जाए।
अगले सप्ताह सुनवाई की उम्मीद
उच्च न्यायालय में इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होने उम्मीद है। राठौड़ ने कहा कि 91 विधायकों के इस्तीफे दिए दो महीने से ज्यादा समय हो गया । इन्हें अब तक स्वीकार नहीं किया गया है। इस्तीफा देने वाले मंत्री और विधायक अब भी सैंवधानिक पद पर काम कर रहे हैं। जिसका उन्हे कोई अधिकार नहीं है। स्वेच्छा से इस्तीफा देना विधायक का अधिकार है। लेकिन इस मामले में विधायकों से जबरन हस्ताक्षर कराए जाने अथवा उनके हस्ताक्षर कुट रचित किए जाने की कोई सूचना अध्यक्ष के पास नहीं पहुंची है। ऐसे में इस्तीफे स्वीकार करना अध्यक्ष के लिए विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के तहत बाध्यकारी है।
यह है इस्तीफों का विवाद
25 सितंबर को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन पर्यवेक्षक के तौर पर आए थे। बैठक में सीएम सहित सभी निर्णय सोनिया पर छोड़े जाने को लेकर एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित होना था।लेकिन गहलोत समर्थक विधायक बैठक में नहीं पहुंचे थे। इन विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की और फिर डॉ.जोशी के आवास पर जाकर इस्तीफे सौंपे थे।गहलोत समर्थक विधायकों का मानना था कि एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित होने के बाद आलाकमान सचिन पायलट को सीएम बना सकता है।