Move to Jagran APP

Rajasthan: 13 जिलों के तीन करोड़ लोगों की पेयजल योजना को लेकर राजनीति चरम पर, एक लाख की भीड़ जुटाने का दावा

किसानों ने पूर्वी राजस्थान की पेयजल समास्या के समाधान और राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग को लेकर आन्दोलन की घोषणा की है। आन्दोलन की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन की युवा शाखा कर रहे हैं। 18 मई को राजभवन का घेराव करेंगे किसानएक लाख की भीड़ जुटाने का दावा

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 20 Apr 2022 01:31 PM (IST)Updated: Wed, 20 Apr 2022 01:33 PM (IST)
Rajasthan: 13 जिलों के तीन करोड़ लोगों की पेयजल योजना को लेकर राजनीति चरम पर, एक लाख की भीड़ जुटाने का दावा
13 जिलों के तीन करोड़ लोगों की पेयजल योजना को लेकर राजनीति चरम पर,

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में 13 जिलों के तीन करोड़ लोगों को पेयजल और सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाने को लेकर प्रस्तावित ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) पांच साल बाद भी कागजों में ही सिमट कर रह गई। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग कर रही है। सीएम गहलोत इस मांग के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दो बार पत्र लिख चुके हैं। वहीं केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि गहलोत सरकार तय नियमों में आवेदन करेगी तो निश्चित रूप से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाएंगे।

loksabha election banner

इस बीच किसानों ने पूर्वी राजस्थान की पेयजल समास्या के समाधान और राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग को लेकर आन्दोलन की घोषणा की है। आन्दोलन की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन की युवा शाखा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह मीणा कर रहे हैं। मीणा का कहना है कि 18 मई को एक लाख किसान जयपुर में राजभवन का घेराव करेंगे। इससे पहले 25 से 29 अप्रैल के बीच "नहर लाओ, जीवन बचाओ यात्रा" निकाली जाएगी। यह यात्रा उन जिलों में जाएगी,जिनके लिए ईआरसीपी योजना प्रस्तावित है। कागजों में चल रही इस परियोजना पर राजनीतिक होने का प्रमुख कारण पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की 80 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस परियोजना के नाम पर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वोट लेना चाहती है।

यह है परियोजना

साल,2017-18 के बजट में तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने टोंक, बून्दी, बारां, झालावाड़, कोटा, जयपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, अजमेर, अलवर, करौली, भरतपुर और धौलपुर जिलों को पेयजल और सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाने के लिए ईआरसीपी की घोषणा की थी। इसके लिए बजट में प्रावधान भी किया गया था। सत्ता बदलने के बाद गहलोत ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने मांग शुरू की। गहलोत चाहते हैं कि राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर इसके लिए अधिकांश पैसा केन्द्र सरकार दे। परियोजना पर चल रही सियासत के बीच एक परेशानी यह है कि राजस्थान सरकार मध्यप्रदेश से आने वाली कुन्नू, पार्वती और कालीसिंध नदी से 50 प्रतिशत डायवर्जन पर पानी लेना चाहती है। वहीं जलशक्ति मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी राष्ट्रीय परियोजना को इस डायवर्जन पर पानी लेने की अनुमति नहीं दी गई है।

राजनीति में फंसा प्रोजेक्ट

ईआरसीपी को लेकर राजनीति काफी हो रही है। गहलोत और उनकी सरकार में जलदाय मंत्री महेश जोशी इस मामले को लेकर कई बार विवादित बयान दे चुके हैँ। कांग्रेस ने जिलों में पिछले सप्ताह आन्दोलन भी किया है। गहलोत,जोशी और शेखावत के बीच इस परियोजना को लेकर बयान और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी काफी चला है। जोशी ने कहा था कि पीएम ने अजमेर व जयपुर की चुनाव सभाओं में ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की बात कही थी । वहीं शेखावत ने कहा था कि यदि पीएम ने ऐसा कहा होगा तो वह राजनीति छोड़ देंगे । शेखावत ने गहलोत व जोशी पर गलत बयानी का आरोप लगाया था । 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.