Rajasthan Politics: अशोक गहलोत समर्थक 85 विधायकों ने सोनिया को CM का नाम तय करने के अधिकार देने के खिलाफ दिए इस्तीफे
Rajasthan Politics राजस्थान में अशोक गहलोत समर्थकों ने कहा है कि विधायकों की राय के बिना सीएम का फैसला नहीं होना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर गहलोत समर्थक 85 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफे दिए हैं।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। कांग्रेस अध्यक्ष का नामांकन दाखिल करने से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपे जाने को लेकर उनके समर्थक विधायकों ने विद्रोह कर दिया है। गहलोत समर्थकों ने साफ कर दिया कि विधायकों की राय के बिना सीएम का फैसला नहीं होना चाहिए । इस मुद्दे को लेकर गहलोत समर्थक 85 विधायकों ने रविवार रात को सियासी ड्रामेबाजी के बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफे दिए हैं। इनमें कांग्रेस और निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
आलाकमान की मंशा के खिलाफ किसी भी हद जाने के लिए तैयार
इससे पहले गहलोत समर्थक विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक कर कहा कि जिन लोगों ने भाजपा के साथ मिलकर दो साल पहले सरकार को गिराने का प्रयास किया, उनमें से कोई सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय सरकार के साथ रहे विधायकों में से किसी को भी सीएम बनाया जाना चाहिए। विधायकों ने पायलट को सीएम बनाए जाने की आलाकमान की मंशा के खिलाफ किसी भी हद तक जाने की बात कही है। गहलोत समर्थक विधायकों के कड़े रुख के कारण मुख्यमंत्री निवास पर रविवार शाम सात बजे होने वाली बैठक का समय तीन बार बदला गया। अंत में रात आठ बजे का समय तय किया गया, लेकिन फिर भी गहलोत समर्थक विधायक नहीं पहुंचे। पायलट सहित मात्र 28 विधायक ही पहुंचे।
लालचंद कटारिया या सीपी जोशी में से किसी एक को सीएम बनाने के पक्ष में
सोनिया की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन मुख्यमंत्री निवास पर विधायकों का इंतजार करते रहे । आखिरकार बैठक रदद कर दी गई। गहलोत खेमा पायलट के स्थान पर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया अथवा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी में से किसी एक को सीएम बनाने के पक्ष में है। सूत्रों के अनुसार गहलोत समर्थक अगले दो दिन में दिल्ली जाकर आलाकमान से मिल सकते हैं। दरअसल, पर्यवेक्षक चाहते थे कि सीएम का नाम तय करने को लेकर विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर सोनिया को अधिकार सौंपा जाए। लेकिन गहलोत खेमा इसके लिए तैयार नहीं था।
पायलट को सीएम पद सौंपने के पक्ष में नहीं गहलोत खेमा
गहलोत समर्थक विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक कर कहा कि जिन लोगों ने भाजपा के साथ मिलकर दो साल पहले सरकार को गिराने का प्रयास किया, उनमें से कोई सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए। सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे की बगावत के समय सरकार के साथ रहे विधायकों में से किसी को भी सीएम बनाया जाना चाहिए। विधायकों ने सचिन पायलट को सीएम बनाए जाने की आलाकमान की मंशा के खिलाफ किसी भी हद तक जाने की बात कही है।
पायलट के खिलाफ यह मुद्दा बनाया
गहलोत खेमे ने पायलट के खिलाफ उनके खेमे द्वारा की गई बगावत को मुद्दा बनाया है। तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि आलाकमान को याद रखना चाहिए कि दो साल पहले भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश की गई थी। तब गहलोत ने 102 विधायकों के साथ मिलकर सरकार बचाई थी। नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि जिन लोगों के कारण सरकार को खतरा हुआ था, उन्हें सीएम नहीं बनाना चाहिए, गहलोत को ही सीएम रहें। धारीवाल और खाचरियावास ने कहा कि हम सोनिया के खिलाफ नहीं है। लेकिन हमारी बात सुनी जानी चाहिए। इस दौरान गहलोत और सोनिया के समर्थन में नारेबाजी भी हुई।
Jaipur, Rajasthan | Congress leader Sachin Pilot leaves for CM Ashok Gehlot's residence for CLP meeting pic.twitter.com/A7azorZ8KC— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) September 25, 2022
लोढ़ा बोले, सरकार को खतरा
निर्दलीय विधायक व गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा कि अगर विधायकों की राय नहीं मानी गई तो सरकार को खतरा हो सकता है। लोढ़ा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधायकों की भावना के अनुरूप निर्णय नहीं होगा तो सरकार चलेगी। उनका यह बयान कांग्रेस आलाकमान को चुनौती माना जा रहा है।
बैठक पर नाराजगी जताई
कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और खिलाड़ी लाल बैरवा ने धारीवाल के आवास पर हुई बैठक आपत्ति जताते हुए कहा इसको कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा,जब आलाकमान ने पर्यवेक्षक भेजे हैं। उससे पहले बैठक करने का क्या मतलब है। मलिंगा ने लोढ़ा और गर्ग के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जो कांग्रेस में नहीं हैं उन्हे पार्टी के अंदरूनी मामलों में नहीं बोलना चाहिए। अब तक गहलोत समर्थक रहे होमगार्ड मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और विधायक वाजिब अलीने कहा,हम आलाकमान के निर्णय के साथ हैं।
गहलोत बोले, सोनिया ने अगस्त में इस्तीफे की पेशकश की थी
अशोक गहलोत ने कहा, सोनिया गांधी ने नौ अगस्त को ही इस्तीफे की पेशकश की थी. लेकिन सभी के आग्रह पर वह मान गई थी। उन्होंने कहा कि राजस्थान से मेरा अटूट प्रेम है। मुझे कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को आगे आना चाहिए। मैं 40 साल तक प्रमुख पदों पर रहा हूं। गहलोत ने रविवार को जैसलमेर में तनोट माता मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद मीडिया से कहा कि मैं प्रदेश के लोगों के सुख दुख में साथ रहा हूं।
जैसलमेर में श्री तनोट राय मंदिर में दर्शन एवं पूजा-अर्चना कर तनोट माता से सभी की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली के लिए प्रार्थना की। पीसीसी अध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह डोटासरा एवं मंत्री श्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी साथ रहे। pic.twitter.com/HLLDCLkpmw— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 25, 2022