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Rajasthan Political Crisis: आलाकमान की कोशिश साबित हो रही नाकाम, राजस्थान कांग्रेस में बढ़ती जा रही कलह

Rajasthan Political Crisis बसपा का कांग्रेस में विलय करने वाले सभी छह विधायकों ने मंत्रिमंडल विस्तार कर उन्हें भागीदारी देने की मांग उठाई है। इन विधायकों ने सोमवार को जयपुर में बैठक कर कांग्रेस आलाकमान और सीएम को अल्टीमेटम दिया कि वे अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 10:03 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 10:03 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: आलाकमान की कोशिश साबित हो रही नाकाम, राजस्थान कांग्रेस में बढ़ती जा रही कलह
आलाकमान की कोशिश साबित हो रही नाकाम, राजस्थान कांग्रेस में बढ़ती जा रही कलह। फाइल फोटो

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान कांग्रेस की खींचतान को शांत करने को लेकर पार्टी आलाकमान के प्रयास नाकाम सबित हो रहे हैं। प्रदेश प्रभारी अजय माकन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सुलह कराने के प्रयास में जुटे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर बढ़ते दबाव के बीच सीएम की तरफ से सोमवार को कहा गया कि डॉक्टर्स ने उन्हें एक-दो माह किसी से नहीं मिलने और वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही बैठक करने की सलाह दी है। गहलोत के ओएसडी की तरफ से मीडियाकर्मियों को इस संबंध में भेजे गए वक्तव्य को मंत्रिमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियां टालने की कोशिश माना जा रहा है। इसी बीच, बसपा का कांग्रेस में विलय करने वाले सभी छह विधायकों ने मंत्रिमंडल विस्तार कर उन्हें भागीदारी देने की मांग उठाई है। इन विधायकों ने सोमवार को जयपुर में बैठक कर कांग्रेस आलाकमान और सीएम को अल्टीमेटम दिया कि वे अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।

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बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने "दैनिक जागरण" से कहा कि पायलट की बगावत के समय यदि हम और 10 निर्दलीय साथ नहीं देते तो गहलोत सरकार की पहली पुण्यतिथि अब तक मन चुकी होती। उस वक्त हम नहीं होते तो सीएम के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होता। हर मौके पर सरकार का बचाव करने वाले निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कांग्रेस आलाकमान को विधायकों के लिए ट्रेनिंग कैंप लगाने की नसीहत दे दी। उधर पायलट समर्थक विधायक हरीश मीणा और बृजेंद्र ओला ने अपनी ही सरकार में विधायकों की सनवाई नहीं होने का आरोप लगाया है। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे मीणा ने एक बातचीत में कहा कि पायलट के साथ रहने का मतलब यह नहीं है कि हम कांग्रेस विरोधी हैं। हम कांग्रेस के सिपाही हैं। पायलट के साथ हैं और रहेंगे। दोनों ने कहा कि विधायकों की सुनवाई नहीं हो रही, अफसर राज कर रहे हैं। पायलट के एक अन्य खास वेदप्रकाश सोलंकी पहले ही एमएलए के फोन टेप होने का आरोप लगा चुके हैं।

घिरती जा रही कांग्रेस सरकार

निर्दलीय विधायकों ने सत्ता में भागीदारी मांगते हुए कहा कि पायलट खेमे की बगावत के समय हमने समर्थन दिया था। उस समय कांग्रेस के नेताओं ने सरकार में शामिल करने का वादा किया था, लेकिन अब तक पूरा नहीं किया जा रहा है। बसपा से कांग्रेस में विलय करने वाले राजेंद्र गुढ़ा, लाखन मीणा, वाजिब अली और संदीप यादव ने कहा कि हम तीन बार माकन से मिल चुके, लेकिन वे कोई निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। गहलोत के विश्वस्त कई विधायकों ने भी सरकार में जगह देने की मांग की है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच कई विधायकों ने सीएम से मिलने का समय मांगा था, लेकिन गहलोत ने पोस्ट कोविड सावधानियों के चलते डॉक्टर्स की सलाह पर किसी से मिलने से इनकार कर दिया।

गहलोत के विश्वस्त मंत्री ने बागियों पर साधा निशाना

सीएम के खास तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग ने ट्वीट कर कहा कि कुछ परिंदे खुद का घोसला कभी नहीं बनाते वे दूसरों के बनाए घोसलों में कब्जा करते हैं। खुद का मतलब पूरा होते ही फिर उड़ जाते हैं। अगले सीजन में फिर किसी घोसले पर कब्जा कर लेते हैं। इसे पायलट समर्थक विधायकों पर तंज माना जा रहा है। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है। 


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