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Rajasthan Political Crisis: मुख्यमंत्री के बयान और कोरोना के हालात को भाजपा ने बनाया मुददा

Rajasthan Political Crisis राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राजभवन के घेराव की चेतावनी और राजस्थ्ज्ञान में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को अब भाजपा ने बड़ा मुददा बना लिया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 07:47 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: मुख्यमंत्री के बयान और कोरोना के हालात को भाजपा ने बनाया मुददा
Rajasthan Political Crisis: मुख्यमंत्री के बयान और कोरोना के हालात को भाजपा ने बनाया मुददा

राज्य ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राजभवन के घेराव की चेतावनी और राजस्थ्ज्ञान में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को अब भाजपा ने बड़ा मुददा बना लिया है। पार्टी के नेता कह रहे हैं कि सरकार खुद राजस्थान में अराजकता की स्थिति पैदा कर रही है। इस मामले को लेकर राजस्थान के भाजपा नेता शनिवार को राज्यपाल से भी मिले और उनसे “समुचित कार्यवाही“ करने की मांग की, हालांकि  इन नेताओं ने राष्ट्रपति शासन की मांग से इनकार किया।

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देने पर राजभवन का घेराव करने और इस बारे में सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होने के बारे में शुक्रवार को दिए गए बयान ने प्रतिपक्ष में बैठी भाजपा को बडा मुददा थमा दिया है। भाजपा के नेता राजभवन में हुए धरने और अब विधानसभा सत्र की मांग को कोरोना की स्थिति से भी जोड़  रहे है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि मुख्यमंत्री प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं और इस तरह का बयान दे कर उन्होंने अपराधिक कृत्य किया है। यही नहीं जिस तरह का धरना राजभवन  में दिया गया और इसके बाद जिस तरह के धरने शनिवार को राज्य भर में दिए गए यह कोरोना के लिए लागू एडवाइजरी और आपदा प्रबंधन कानून  का भी उल्लंघन है। सरकार प्रदेश में खुद अराजकता की स्थिति पैदा कर रही है। 

वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि सरकार के विधायकों ने शुक्रवार को राजभवन में धरना देकर गलत काम किया, वहीं आज भी जो धरने दिए गए, वे किसी पार्टी के खिलाफ नहीं, बल्कि विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को लेकर थे। सत्र राज्यपाल ही बुलाते है। ऐसे में यह धरने राज्यपाल के खिलाफ हुए और यह संवैधानिक पद का अपमान है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति के लिए मुख्यमंत्री को पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्र की मांग करना केबिनेट का अधिकार है, लेकिन उसके लिए उचित आधार देना जरूरी है।

वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि मार्च में जब कोरोना के केस सौ से भी कम थे, तब कोरोना के नाम पर ही सत्र स्थगित किया गया था और जब केस 35 हजार से उपर हो चुके हैं तो सत्र बुलाने की मांग की जा रही है। सरकार प्रदेश में अराजकता की स्थिति पैदा करना चाहती है। हम राज्यपाल से समुचित कार्यवाही करने और जनता को संरक्षण प्रदान करने की मांग कर रहे है। हालांकि जब भाजपा नेताओ से पूछा गया कि क्या वे राष्ट्रपति शासन की मांग कर के आए हैं तो इन नेताओं ने स्पष्ट मना कर दिया, वहीं फलोर टेस्ट की मांग पर भी इन नेताओं ने कहा कि हमें इसकी जरूरत नहीं है।


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