राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों को लेकर उच्च न्यायालय में जवाब मांगा, अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी
न्यायालय ने विधानसभा सचिव के जवाब पर याचिकाकर्ता भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ को अपना जवाब पेश करने के लिए 13 फरवरी तक का समय दिया है। मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल और शुभा मेहता की खंडपीठ ने सुनवाई की।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में कांग्रेस के 81 विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी को दिए गए इस्तीफों एवं वापस लेने के मामले में विधानसभा सचिव की ओर से उच्च न्यायालय में जवाब पेश किया गया। इसमें कहा गया कि 81 विधायकों ने 13 जनवरी,2023 को अध्यक्ष के सामने उपस्थित होकर कहा कि उनकी ओर से पूर्व में दिए गए इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए गए थे। विधायकों ने इस्तीफे वापस लेने की बात कही। ऐसे में नियमों के अनुसार ये इस्तीफे महत्व नहीं रखते हैं। इसलिए इन इस्तीफों को खारिज किया गया है।
81 इस्तीफे सामूहिक रूप से पेश किए गए थे
न्यायालय ने विधानसभा सचिव के जवाब पर याचिकाकर्ता भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ को अपना जवाब पेश करने के लिए 13 फरवरी तक का समय दिया है। मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल और शुभा मेहता की खंडपीठ ने सुनवाई की।
विधानसभा सचिव की ओर से पेश किए गए जवाब में कहा गया कि इस्तीफों में विधानसभा क्षेत्र का नाम और विभाजन संख्या के अतिरिक्त शेष तथ्य मशीनी अंदाज में एक समान लिखे गए थे। विधायकों ने अपने त्यागपत्र अलग-अलग नहीं दिए थे। 25 सितंबर, 2022 को छह विधायकों ने ही पेश होकर 81 इस्तीफे सामूहिक रूप से एक कागज पर पेश किए थे।
सभी विधायकों के एक कागज पर हस्ताक्षर थे,जो नियमों के अनुसार सही नहीं थे। विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 173 (4) के तहत कोई विधायक अध्यक्ष की ओर से स्वीकार किए जाने से पहले अपना इस्तीफा वापस ले सकता है। विधायक का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद ही विधानसभा में उसका स्थान रिक्त होता है। यह प्रकरण संविधान की दसवीं अनुसूचि में नहीं होने के कारण न्यायालय इसमें दखल नहीं कर सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका को खारिज करने की बात कही। यह जनहित का मुददा नहीं होकर राजनीति से प्रेरित होकर याचिका लगाई गई है। वहीं याचिकाकर्ता राठौड़ ने उन्हे अध्यक्ष के जवाब का अध्ययन करने के लिए समय दिए जाने की मांग की। इस पर न्यायालय ने 13 फरवरी को अगली सुनवाई की तारीख तय की।
यह है मामला
पिछले साल 25 सितंबर को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से जयपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन पर्यवेक्षक के रूप में पहुंचे थे। बैठक में सीएम सहित सभी निर्णय सोनिया पर छोड़े जाने को लेकर एक पंक्ति का प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित होना था।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक विधायकों को प्रस्ताव पारित होने पर सचिन पायलट को नया सीएम बनाए जाने की आशंका थी। इसलिए गहलोत समर्थक विधायक संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के निवास पर एकत्रित हुए और फिर जोशी से मिलकर एक कागज पर हस्ताक्षर कर विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंपे थे।
यह भी पढ़ें- पांच साल में मेडिकल डिवाइस आयात दोगुना, लेकिन चीन से आयात तीन गुना बढ़ा; इंपोर्ट पर निर्भरता 80% से अधिक
यह भी पढ़ें- Fact Check: आम आदमी की तरह ट्रेन में सफर करते डॉ. कलाम की यह तस्वीर उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद की है