वीर सावरकर को बताया अंग्रेजों से माफी मांगने वाला
पाठ्क्रम में वीर सावरकर से जुड़े तथ्यों में बदलाव किए जाने के बाद राज्य में सियासी बवाल मच गया है।
जयपुर , नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में स्कूली शिक्षा के पाठ्क्रम में हिंदुत्व के पक्षधर रहे वीर सावरकर को जेल की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताए जाने को लेकर अध्याय जोड़े जाने के बाद सियासत तेज हो गई है। 10वीं कक्षा के पाठ्क्रम में भाग संख्या-3" अंग्रेजी साम्राज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष " शीर्षक में कहा गया है कि अंग्रेजों की याताओं से तंग आकर वीर सावरकर चार बार माफी मांगकर जेल से बाहर आए थे।
इसमें कहा गया है कि वीर सावरकर सेल्यूटर जेल में अंग्रेजों से माफी मांगने के बाद उनके साथ काम करने को तैयार हो गए थे। प्रदेश के स्कूली शिक्षा के पाठ्क्रम से आरएसएस के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से जुड़े अध्याय हटाने के बाद वीर सावरकर सहित भाजपा की पसंद के अन्य महापुरूषों एवं नेताओं से जुड़े पाठ या तो हटाए गए है या फिर उनमें बदलाव किया गया है। पाठ्क्रम में वीर सावरकर से जुड़े तथ्यों में बदलाव किए जाने के बाद राज्य में सियासी बवाल मच गया है।
भाजपा ने वीर सावरकर का अपमान बताया है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि समय-समय पर पाठ्क्रम में शिक्षाविद्धों की कमेटी के सुझावों के आधार पर बदलाव होते रहते है। वीर सावरकर को लेकर यह बात हम शुरू से ही सुनते आए है,भाजपा इतिहास को अपने हिसाब से तोड़ती-मरोड़ती रहती है।
वसुंधरा सरकार में हुए थे कई बदलाव,नेहरू का पाठ हटाया था
पिछली वसुंधरा राजे सरकार में स्कूली शिक्षा के पाठ्क्रम में कई बदलाव हुए थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित कई लोगों की जीवनी पाठ्क्रम में जोड़ी गई थी। वसुंधरा सरकार के समय महापुरूषों के पाठ से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को ही गायब कर दिया था। स्व.श्रीमती इंदिरा गांधी का नाम भी हटाया गया था। इसके साथ ही वीर सावरकर को लेकर एक पाठ जोड़ा गया था,जिसमें उन्हे महान स्वतंत्रता सेनानी,देशभक्त और क्रांतिकारी बताया था।
वीर सावरकार को ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला अध्याय पाठ्क्रम में जोड़े जाने के बाद प्रदेश में सियासी बवाल मच गया है। भाजपा ने इसे वीर सावरकर की वीरता का अपमान बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं अशोक गहलोत सरकार के शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि पाठ्क्रम की समीक्षा के लिए गठित कमेटी के प्रस्तावों के अनुसार सिलेबस तैयार किया गया है। इसमें राजनीति जैसी कोई बात नहीं है। सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया।
उधर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं वसुंधरा सरकार में केबिनेट मंत्री रहे अरूण चतुर्वेदी एवं गजेंद्र सिंह खींवसर का कहना है कि अशोक गहलोत सरकार द्वारा महापुरूषों के चरीत्र के साथ छेड़छाड़ किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महापुरूषों का अपमान कर रही है। भाजपा सरकार में शिक्षामंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर शिक्षा जगत से जुड़े लोगों में नाराजगी है,आंदोलन किया जा सकता है।
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