राजस्थान में वसुंधरा शासन में बंद सरकारी स्कूल फिर खुलेंगे
सत्ता परिवर्तन के साथ प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने भाजपा सरकार की योजनाओं एवं उसके कराए कार्यों की समीक्षा शुरू कर दी है।
उदयपुर, सुभाष शर्मा। सत्ता परिवर्तन के साथ प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने भाजपा सरकार की योजनाओं एवं उसके कराए कार्यों की समीक्षा शुरू कर दी है। इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने भाजपा सरकार के निर्णय के लिए उलट उनके कार्यकाल में बंद या मर्ज राजकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को पुन: खोले जाने की मंशा जताई है।
राज्य सरकार का तर्क है कि शिक्षा में सुधार एवं गुणात्मक शिक्षा के लिए आरटीई नाम्र्स के विपरीत मर्ज किए गए या बंद किए गए प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों को दोबारा संचालन करने की जरूरत है। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा विभाग से दस जनवरी तक समीक्षा रिपोर्ट मांगी है। जिसमें वह ऐसे स्कूलों को सूची देंगे, जिन्हें खोला जाना चाहिए।
राज्य सरकार के निर्देश पर प्रारंभिक शिक्षा विभाग (आयोजना ) जयपुर की शासन उप सचिव ज्योति चौहान ने शासन सचिव स्कूल शिक्षा, स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त के अलावा प्रदेश के संभागों पर नियुक्त सभी संयुक्त
निदेशकों को पत्र लिखकर समीक्षा रिपोर्ट तलब की है। जिसमें बताया गया कि प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत शिक्षा में सुधार एवं गुणात्मक शिक्षा के लिए राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक 3717 स्कूलों को मर्ज कर दिया गया या बंद कर दिया गया।
अब राज्य सरकार ने नए सिरे से समीक्षा कराते हुए इन स्कूलों को पुन: संचालित किए जाने की ओर पहल शुरू की है। जिसमें आरटीई नाम्र्स के अनुसार प्राथमिक स्कूलों की दूरी न्यूनतम एक किलोमीटर तथा उच्च प्राथमिक स्कूलों की दूसरी दो किलोमीटर है। इस प्रावधान के विपरीत कोई विद्यालय मर्ज किया गया या उसे बंद कर दिया गया हो तो उसे दोबारा से संचालन कि लिए चिन्हित कर प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाना होगा।
इसी तरह जनजाति एवं दुर्गम क्षेत्र जिनमें एक ही राजस्व गांव में अन्य विद्यालयों को मर्ज करते हुए आदर्श विद्यालय गठित कर दिए गए लेकिन दोनों विद्यालयों के मध्य जंगल, पहाड़ी, राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे लाइन, नदी एवं बरसाती नाले आदि हैं तो ऐसे स्कूलों को दोबारा संचालन करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं।
राज्य सरकार ने भामाशाहों द्वारा निर्मित कराए ऐसे विद्यालय भवन जिनमें पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं कमरे इत्यादि मौजूद हैं, या ऐसे स्कूल जिनमें समय-समय पर भामाशाहों-दानदाताओं द्वारा विकास कार्य कराए गए, उन स्कूलों को भी फिर से संचालन करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं।