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Rajasthan: जल्द ही अलवर में भी खुलेगा सैनिक स्कूल

Govind Singh Dotasra. राजस्थान में चित्तौड़गढ़ में सबसे पहले सैनिक स्कूल शुरू हुआ था जो छठे दशक से चल रहा है। इसके बाद 2018 में झुंझुनू में सैनिक स्कूल की शुरुआत हुई।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 12:33 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 12:33 PM (IST)
Rajasthan: जल्द ही अलवर में भी खुलेगा सैनिक स्कूल

जयपुर, मनीष गोधा। राजस्थान में चित्तौड़गढ़ और झुंझुनू के बाद अब जल्द ही अलवर में भी सैनिक स्कूल खुलेगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अलवर मे सैनिक स्कूल के लिए जमीन आवंटन को मंजूरी देते हुए इस पर शीघ्र काम शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

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राजस्थान में चित्तौड़गढ़ में सबसे पहले सैनिक स्कूल शुरू हुआ था, जो छठे दशक से चल रहा है। इसके बाद 2018 में झुंझुनू में सैनिक स्कूल की शुरुआत हुई, क्योंकि यहां से सबसे ज्यादा सैनिक सेना में जाते हैं। अलवर में सैनिक स्कूल के लिए प्रयास 2011-12 में हुए थे। उस समय राजस्थान और केंद्र दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी और तत्कालीन केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने अलवर का सांसद होने के नाते अलवर में सैनिक स्कूल की घोषणा कराई थी, हालांकि यह खुल नहीं पाया और इससे पहले झुंझुनूं मे सैनिक स्कूल की शुरुआत हो गई, क्योंकि मांग वहां से भी थी।

अब कांग्रेस ने राजस्थान में सत्ता में लौटने के बाद एक बार फिर से इसके लिए प्रयास शुरू किए हैं, क्योंकि अलवर, भरतपुर, धौलपुर का इलाका भी सैनिकों से भरा हुआ है और बड़ी संख्या में यहां के जवान सेना में जाते हैं। राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने शुक्रवार को नई दिल्ली के आयोजित सैनिक स्कूल सोसायटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए अलवर में सैनिक स्कूल की स्थापना की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि 2013 में सैनिक स्कूल सोसायटी और राज्य सरकार के बीच हुए एमओयू को मानते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सैनिक स्कूल के लिए अलवर में जमीन आवंटन को मंजूरी दे दी है और जल्द से जल्द सैनिक स्कूल चालू करने के निर्देश दिए हैं। डोटासरा ने बताया कि सैनिक स्कूलों को मजबूत करने तथा उनकी आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की मांग भी की है। वर्तमान में सैनिक स्कूल के बच्चों को जो स्कॉलरशिप मिलती है, उसमें तीन लाख तक जिनकी पारिवारिक आय होती है उन्हें पूरी स्कॉलरशिप मिलती है तथा तीन लाख से अधिक तथा पांच लाख तक के लिए 75 प्रतिशत स्कॉलरशिप मिलती है। इसी तरह 7.50 लाख आय वर्ग तक के बच्चों को 50 प्रतिशत तथा जिनकी आय 10 लाख तक है, उनको 25 प्रतिशत स्कॉलरशिप मिलती है। अभी स्कॉलरशिप की पूरी राशि राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार केवल तीन लाख तक आय वर्ग के बच्चों को 2000 की सहायता तथा अन्य दो श्रेणियों में 1250 रुपये तथा 175 रुपये की सहायता प्रदान करती है जो कि बहुत कम है।

उन्होंने सैनिक स्कूलों में आधारभूत संरचना के विकास के लिए भी केंद्र सरकार से विशेष मदद प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूलों के विकास के लिए जमीन के साथ-साथ अन्य आधारिक संरचनाओं के विकास के लिए सारा पैसा राज्य सरकार को वहन करना पड़ता है। स्कूलों में वेतन और पेंशन की राशि का वहन भी राज्य सरकारें करती हैं या सैनिक स्कूल सोसायटी को स्वयं अपने स्तर पर संसाधन जुटाकर करना पड़ता है। इससे राज्य सरकारों पर सैनिक स्कूलों के संचालन के लिए काफी वित्तीय भार पड़ता है इसलिए केंद्र सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देते हुए वित्तीय मदद बढ़ानी चाहिए क्योंकि सैनिक स्कूलों का एकमात्र उद्देश्य बच्चों को एनडीए के माध्यम से अधिकारी बनाकर रक्षा सेनाओं में भेजने का है।

डोटासरा ने बताया कि सैनिक स्कूलों में छात्राओं को प्रवेश देने के लिए भी हमने तैयारी कर ली है। अभी चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में 90 बच्चियों को एडमिशन देने की स्वीकृति दी गई है। झुंझुनू और अलवर के सैनिक स्कूलों के संरचनात्मक विकास के बाद बच्चियों को प्रवेश दिया जाएगा। सैनिक स्कूलों में रिजर्वेशन के मुद्दे पर बोलते हुए डोटासरा ने कहा कि वर्तमान में अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों को आरक्षण प्राप्त है। ओबीसी को लेकर यह मामला मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया है। वहां से जो भी निष्कर्ष निकलकर आएगा उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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