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राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं चुनाव अभियान समिति प्रमुख की घोषणा इसी माह होगी

विधानसभा चुनाव निकट आते देख भाजपा राजस्थान में जातिगत समीकरण साधने को लेकर कसरत में जुट गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 10 May 2018 01:05 PM (IST)Updated: Thu, 10 May 2018 01:05 PM (IST)
राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं चुनाव अभियान समिति प्रमुख की घोषणा इसी माह होगी
राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं चुनाव अभियान समिति प्रमुख की घोषणा इसी माह होगी

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। विधानसभा चुनाव निकट आते देख भाजपा राजस्थान में जातिगत समीकरण साधने को लेकर कसरत में जुट गई है। भाजपा के परम्परागत वोट बैंक राजपूत,वैश्य और ब्राहम्ण समाज की वसुंधरा राजे सरकार से बढती नाराजगी को कम करने के लिए पार्टी नेतृत्व राजस्थान में एक उप मुख्यमंत्री और भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रहा है।

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भाजपा नेतृत्व राजस्थान में पार्टी और वसुंधरा राजे सरकार से लोगों की बढती नाराजगी को देखते हुए गंभीर हो गया है। डैमेज कंट्रोल के तहत एक उप मुख्यमंत्री और एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के साथ ही चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष नियुक्त के अध्यक्ष की नियुक्ति शीघ्र की जा सकती है। राजस्थान में भाजपा का कामकाज देखने वाले एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने "दैनिक जागरण" को बताया कि जून से पार्टी नेतृत्व का पूरा ध्यान यहां होगा।

इस पदाधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय नेतृत्व यह तो मानता है कि वसुंधरा राजे के मुकाबले पार्टी में कोई लोकप्रिय नेता नहीं है,लेकिन आम लोगों की राज्य सरकार से बढती नाराजगी,कार्यकर्ताओं की अनदेखी और ब्यूरोक्रेसी के बेलागाम होने के कारण "एंटी इंकंबेंसी "फैक्टर अधिक हो गया है।

दो माह पूर्व सम्पन्न दो लोकसभा,एक विधानसभा और पंचायत एवं स्थानीय निकाय उप चुनाव में भाजपा की करारी हार इंटी इंकंबेंसी फैक्टर का ही परिणाम माना जा रहा है। जानकारी के अनुसार केन्द्रीय नेतृत्व प्रदेश में राजपूत समाज की मुख्यमंत्री से नाराजगी को लेकर अधिक चिंतित है। भाजपा के 38 साल के इतिहास में राजपूत समाज अधिकतर समय भाजपा के साथ रहा है,लेकिन पिछले दो सालों से यह समाज वसुंधरा राजे सरकार से नाराज चल रहा है। अजमेर और अलवर लोकसभा सीटों एवं मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में राजपूत समाज ने खुलकर भाजपा की खिलाफत की थी।

इसी तरह ब्राहम्ण और वैश्य समाज की नाराजगी भी चिंता का कारण बनी हुई है।ब्राहम्ण समाज सत्ता एवं संगठन में कम प्रतिनिधित्व को लेकर नाराज है। वसुंधरा राजे के 30 सदस्यीय मंत्रिमंडल में दो ब्राहम्ण मतदाता है,इनमें से एक अरूण चतुर्वेदी के पास सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता एवं राजकुमार रिणवां के पास देवस्थान विभाग का जिम्मा है। ब्राहम्ण समाज इन दोनों ही विभागों को कम महत्व के विभाग मानता है।

ब्राहम्ण समाज के नेताओं का यह भी कहना है कि ब्यूरोक्रेसी में ब्राहम्ण समाज के अफसरों को भी महत्वपूर्ण विभागों में नहीं लगाया गया है। वैश्य समाज जीएसटी और नोटबंदी के कारण पहले से ही नाराज चल रहा है। गुर्जर समाज ने 15 मई को महापंचायत कर आरक्षण आंदोलन की घोषणा कर दी है। इन सब के चलते ही केन्द्रीय नेतृत्व शीघ्र ही राजस्थान सत्ता और संगठन को लेकर बड़े फैसले कर सकता है।

राजस्थान का दिल्ली में प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उप मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रदेश चुनाव अभियान समिति की घोषणा मई माह के अंत तक कर दी जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केन्द्रीय नेतृत्व पहले ही केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम तय कर चुका,लेकिन वसुंधरा राजे खेमा उन्हे अध्यक्ष के रूप में स्वीकारने को तैयार नहीं है। हालांकि इस नेता ने बताया कि अब तक के हालात में शेखावत का अध्यक्ष बनना तय लगता है ।

विश्नोई को बनाया खादी बोर्ड का अध्यक्ष

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गुरूवार को एक आदेश जारी कर जोधपुर के पूर्व सांसद जसवंत सिंह विश्नोई को राज्य खादी एवं ग्रामोधोग बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है। जसवंत सिंह का विश्नोई समाज में काफी प्रभाव माना जाता है। जसवंत सिंह की नियुक्ति के पीछे विश्नोई समाज को भाजपा से जोड़ने की रणनीति मानी जा रही है ।  


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