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Rajasthan Political Crisis: खुद मुख्यमंत्री आपराधिक कृत्य कर रहे हैं, राजस्थान में सीआरपीएफ तैनात की जाएः भाजपा

Rajasthan Political Crisis भाजपा ने आरोप लगाया है कि जिस मुख्यमंत्री व गृहमंत्री पर राजस्थान में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है वह स्वयं आपराधिक कृत्य कर रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 06:10 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 06:10 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: खुद मुख्यमंत्री आपराधिक कृत्य कर रहे हैं, राजस्थान में सीआरपीएफ तैनात की जाएः भाजपा

राज्य ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने के मामले में मुख्यमंत्री द्वारा राजभवन का घेराव करने की चेतावनी और कांग्रेस और इसके समर्थित विधायकों द्वारा राजभवन में धरना दिए जाने के मामले में भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और आरोप लगाया है कि जिस मुख्यमंत्री व गृहमंत्री पर राजस्थान में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है, वह स्वयं आपराधिक कृत्य कर रहे हैं। भाजपा की मांग है यहां के हालात देखते हुए केंद्र सरकार को यहां सीआरपीएफ की तैनाती करनी चाहिए। भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि हालांकि राष्ट्रपति शासन की स्थितियां न बनें, ऐसा हम सब चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि जो गलती वो कर रहे है, वह हम भी करें लेकिन राजस्थान में अब संवैधानिक ब्रेकडाउन की स्थिति बनती जा रही है।

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राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा कि एक तरफ सुप्रीम कोर्ट एक संवैधानिक मसले की याचिका पर विचार कर रहा है, वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह का भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वैसा किसी भी प्रदेश का मुख्यमंत्री या गृहमंत्री नहीं कर सकता।

सतीश पूनिया ने कहा कि राजभवन में धरने का नाटक चल रहा है, लेकिन नियमों के तहत राज्यपाल को जल्द सत्र बुलाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री राजस्थान के गृहमंत्री भी हैं और उन पर प्रदेश की कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी है, लेकिन वे राजभवन का घेराव करने की धमकी दे कर, एक साथ इतने लोगों को एकत्र कर, प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख को चेतावनी दे कर कोरोना के समय लागू आपदा प्रबंधन कानून और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न कानूनों का उल्लंघन कर आपराधिक कृत्य कर रहे हैं। ऐसा राजस्थान में पहली बार होता दिख रहा है। इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा की भूमिका के बारे में पूनिया ने कहा कि संवैधानिक और कानूनी पक्ष को देखते हुए अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।

मुख्यमंत्री स्वयं अपने जाल में फंस गएः कटारिया

वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं अपने जाल में फंस गए हैं और इससे निकलने का आज जो रास्ता ढूंढा है, वह इस गरिमामय पद को गिराने वाला साबित होगा। कटारिया ने कहा कि संकट की शुरुआत में ही बहुमत साबित करते तो समस्या खत्म हो जाती। अब जब कोर्ट के माध्यम से रास्ता नहीं दिख रहा है तो यह सब किया जा रहा है। कटारिया ने कहा कि राजभवन में जा कर धरने देने से ज्यादा घटिया काम कोई मुख्यमंत्री नहीं कर सकता। कटारिया ने कहा कि हम तुुरंत केंद्र सरकार को यह मांग करते हैं कि राजस्थान में सीआरपीएफ की तैनाती की जाए। राजभवन से विधायकों को बाहर निकलवाया जाए और राज्यपाल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस पद की गरिमा को बनाए रखना बेहद जरूरी है।

वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने कहा मुख्यमंत्री अपने विधायकों के दम पर 48 घंटें में सत्र बुलाने की जो मांग कर रहे हैं, वह संविधान के प्रावधानों के प्रतिकूल है। कोरोना के चलते बच्चों की परीक्षाएं स्थगित हैं। भारत सरकार की ओर से एडवाइजरी लागू है। फिर ऐसी क्या स्थिति बन गई कि इसका उल्लंघन किया जा रहा है। राठौड ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह आशंका है कि उनकी बाडाबंदी टूटते ही सब लोग अपने अपने मुकाम पर चले जाएंगे। राठौड ने कहा कि आर्टिकल 356 का प्रयोग नहीं करना पड़े यह हम सबकी मंशा है, लेकिन जिस तरह की स्थिति बन रही है यह संवैधानिक ब्रेकडाउन के हालात है। राज्यपाल किसी दल के सदस्य नहीं है, उनके साथ इस तरह बर्ताव सही नहीं है और इसके लिए जिम्मेदार सीधे तौर पर मुख्यमंत्री है।

गहलोत का बयान अराजकः शेखावत

वहीं, इस मामले में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अराजकता से भरा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कभी फोन तो कभी चिटफंड के बहाने अपने घर के भीतर के लड़ाई के चलते दूसरे के घर में कीचड़ फेंकने की कोशिश की जा रही है। संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मामले में अदालत की तरफ से एक बार फिर जांच के आदेश दिए जाने के मामले में शेखावत ने कहा कि हालांकि यह न्यायालय का विषय है। मुझे इस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, लेकिन एसओजी से जांच की बात कही गई है तो इस मामले में पहले भी जांच हुई है और फिर हो जाएगी। जांच होने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इस जांच के पीछे की मंशा सही नहीं है। इसके पीछे जो खेल है वह अगले कुछ ही दिन में सबके सामने आ जाएगा।


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