Rajasthan Cricket Association Dispute: खेलों को राजनीति से दूर रखने पर दिया जोर
Rajasthan Cricket Association Dispute. विधायकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाए बढ़ाने और खेलों को राजनीति से दूर रखने की बात कही।
जयपुर, जेएनएन। Rajasthan Cricket Association Dispute. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को विधायकों ने कहा कि खेलों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। खेल संघों की जिम्मेदारी खिलाड़ियों के पास होनी चाहिए। इस मामले में राजस्थान किक्रेट संघ के विवाद को लेकर हंगामे की स्थिति भी बनी। निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने जब इसके लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया तो पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया।
राजस्थान विधानसभा में वैसे तो मंगलवार को शिक्षा, कला व संस्कृति विषय पर चर्चा होनी थी, लेकिन स्पीकर सीपी जोशी ने व्यवस्था दी कि इस विभाग के तहत खेलकूद और युवा मामले तथा सामाजिक सेवाओं और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे विषयों पर कभी भी चर्चा नहीं हुई है, इसलिए आज की चर्चा में विधायक सिर्फ खेलकूद, युवा मामले और वैज्ञानिक अनुसंधान पर ही चर्चा करें। हालांकि विधायकों का ज्यादा जोर खेलकूद पर ही रहा। वैज्ञानिक अनुसंधान पर बहुत कम विधायकों ने अपनी बात रखी।
मुख्य तौर पर विधायकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाए बढ़ाने और खेलों को राजनीति से दूर रखने की बात कही। पूर्व ओलंपियन और कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया ने कहा कि राज्य में खेल नीति बनाई जानी चाहिए और इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाडि़यों और कोच के सुझावों को शामिल करना चाहिए, क्योंकि अभी तक इनकी भागीदारी नहीं रही है। उन्होंने कहा कि खेल संघों में ऐसे लोग होते हैं जो खिलाड़ी नहीं हैं।
विधायक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि खेल की राजनीति से खेलों को मुक्त कराने की जरूरत है। खिलाडि़यों के निर्णय खिलाड़ी नहीं करते हैं। यह स्थिति बदलने की जरूरत है। विधायक जितेंद सिंह ने कहा कि हमने बच्चों को खेलों से दूर कर दिया है। हमें बच्चों को मोबाइल से दूर करना पडे़गा। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए पांच करोड़ का बजट पर्याप्त नहीं है। विधायक अपने विधायक कोष का पैसा खेल गतिविधियों के लिए दें। वासुदेव देवनानी ने कहा कि खेल और शिक्षा आपस में जुड़े हुए हैं। स्कूलों में खेल प्रतियोगिताओं को बेहतर ढंग से आयोजित किए जाने की जरूरत है, क्योंकि स्कूलों में खेल सुविधाएं है ही नहीं। सूर्य नमस्कार और योग कराया जाए। कैलाश त्रिवेदी ने कहा कि खेल हमारे प्रदेश से लुप्त हो रहे हैं। पूर्व में व्यवस्थाएं थी, लेकिन हमने उन्हें बढ़ाने के बजाय कम किया है। धर्मनिरपेक्षता को मूल रूप से खिलाड़ी ही समझते हैं। हर भाषा, प्रांत और धर्म के खिलाड़ी होते हंै और अपने देश के लिए खेलते हैं।
सुमित गोदारा ने खेलों में जागृति के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। राजस्थान ने बहुत अच्छे खिलाड़ी देश को दिए है। गांवों में खेलों के लिए मैदान जरूर होने चाहिए। वजीर अली ने कहा कि युवाओं को अच्छे संसाधन उपलब्ध कराने जरूरी हैं। विशेषकर लड़कियों के लिए ये सुविधाएं देनी जरूरी है। सुरेश मोदी ने कहा कि गांवों में खेल प्रतिभाएं बहुत हैं। इनके खेल मैदान जरूरी है। खेल का बजट बढ़ाया जाए। हर पंचायत पर खेल मैदान बनाया जाए। बलवान पूनिया ने कहा कि शोध व अनुसंधान के मामले में हम बहुत पीछे हैं। जब तक अनुसंधान पर काम नहीं होगा, समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं होगा। संदीप कुमार ने कहा कि युवा बोर्ड को बेहतर ढंग से सक्रिय करना चाहिए। युवा बोर्ड में कर्मचारी नहीं हैं। सिर्फ दो कमरों में यह बोर्ड चलता है। यहां की व्यवस्थाएं सही होनी चाहिए।
चर्चा के दौरान विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि खेलों में अराजकता की स्थिति तब बनी जब भाजपा सरकार ने खेल संघ के पदाधिकारी के लिए राजस्थान का मूलनिवासी होने की शर्त हटाई। इसके चलते राजस्थान की क्ति्रकेट बेहाल हो गई। उन्होंने जब कुछ और आरेाप लगाए तो सदन में हंगामा हो गया। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और अन्य विधायकों ने लोढ़ा की बातों का विरोध किया और कहा कि वह अर्नगल आरेाप लगा रहे हैं। इसे लेकर कुछ देर तक दोनों के बीच गर्मागर्म बहस भी हुई।