Rajasthan: भाजपा के लिए बेहद मुश्किल है राजस्थान में तख्ता पलटना
Political Crisis In Rajasthan स्थिर सरकार के लिए भाजपा को कम से कम 35 विधायकों का समर्थन चाहिए। यदि 35 विधायक टूटकर भाजपा में आते हैं तो उनकी सदस्यता चली जाएगी।
जयपुर, मनीष गोधा। Political Crisis In Rajasthan: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा पर सरकार गिराने की कोशिश का आरोप भले ही लगा रहे हैं, लेकिन राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के बीच विधायकों की संख्या के अंतर को देखते हुए यह आसानी से संभव नजर नहीं आ रहा है। भाजपा के नेता कह भी रहे हैं कि हमारा ऐसा कोई मंतव्य नहीं है। राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधायक हैं। वर्तमान दलीय स्थिति में कांग्रेस के खुद के 100 विधायक है, वहीं उसके पास बसपा से आए छह और राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह उसके पास 107 विधायक हैं।
हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में उसे निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों को मिला कर कुल 125 विधायकों का समर्थन मिला था। वहीं, भाजपा की बात करें तो यहां खुद भाजपा के 72 विधायक हैं और इसे समर्थन देने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायकों के साथ इसके पास कुल 75 विधायक हैं। ऐसे में निर्दलीय और अन्य विधायकों को छोड़ भी दिया जाए तो सिर्फ कांग्रेस और भाजपा के विधायकों के बीच ही 28 का अंतर है। स्थिर सरकार के लिए भाजपा को कम से कम 35 विधायकों का समर्थन चाहिए। दल-बदल विरोधी कानून के तहत यदि 35 विधायक टूटकर भाजपा में आते हैं तो उनकी सदस्यता चली जाएगी। ऐसे में बहुमत का परीक्षण 165 विधायकों के बीच होगा। इसमें भी भाजपा को बहुमत के लिए 83 विधायक चाहिए होंगे, जबकि उसके पास खुद के 72 ही विधायक हैं। यानी 11 विधायकों का समर्थन उसे तब भी जुटाना पडेगा।
एक-एक कर इतने विधायक जुटाना संभव नहीं है और असंतुष्ट माने जा रहे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के पास फिलहाल इतने विधायक नजर नहीं आ रहे। ऐसे में संख्या बल के लिहाज से भाजपा के लिए यहां सत्ता परिवर्तन कराना काफी मुश्किल है और कांग्रेस काफी हद तक मजबूत स्थिति में है। राजस्थान के भाजपा नेता सत्ता परिवर्तन के सवाल पर ज्यादा कुछ बोल भी नहीं रहे हैं। पार्टी के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया तो यहां तक कह चुके हैं कि कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत है, फिर भी मुख्यमंत्री इतने परेशान क्यों हैं? पार्टी के नेता इस पूरे मामले को कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से ही जोड़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि सरकार को अस्थिर करने का न हमारा कोई मंतव्य है और न ऐसा करने के लिए हमने कुछ किया है। अपनी नाकामियां छुपाने के लिए हमें निशाना बनाया जा रहा है।