Pandaal Collapse in Barmer: हादसे के बाद चेती सरकार- अब धार्मिक कार्यक्रम और मेलों के लिए जारी होगी एडवायजरी
Pandaal Collapse in Barmer अशोक गहलोत सरकार ने सार्वजनिक कार्यक्रमों के आयोजनों के लिए एडवायजरी जारी करने का निर्णय लिया है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में बाड़मेर जिले के जसोल में रविवार को रामकथा के दौरान तुफान और बारिश के बीच पांडाल गिरने से हुई 16 मौतों के बाद अशोक गहलोत सरकार ने सार्वजनिक कार्यक्रमों के आयोजनों के लिए एडवायजरी जारी करने का निर्णय लिया है।
अब मेले अथवा धार्मिक कार्यक्रमों के लिए क्षेत्रीय उपखंड अधिकारी एवं पुलिस थाना अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक होगा। ऐसा नहीं करने वाले आयोजकों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। उपखंड अधिकारी एवं पुलिस थाना अधिकारी की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। अपने अधिकार क्षेत्र में बिना अनुमति के किसी भी आयोजनों के होने देने के लिए इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
एडवायजरी को लेकर मुख्यमंत्री ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को गाइड लाइन तय करने के निर्देश दिए है । दरअसल,जसोल में रामकथा के दौरान उठे बवंडर में 16 लोगों की मौत के साथ ही 55 लोग घायल हो गए, हालांकि सरकार द्वारा मृतकों की संख्या 15 ही बताई जा रही है।
लेकिन अनाधिकृत सूत्र मृतकों की संख्या 16 बता रहे है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार सुबह पहले तो जसोल पहुंचकर रामकथा स्थल का जायजा लिया और फिर मृतकों के घर जाकर सांत्वना दी। गहलोत ने जसोल के सरकारी अस्पताल एवं बालोतरा में नाहटा अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की। इसके बाद वे जोधपुर गए और मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती घायलों की कुशलक्षेम पूछी। इस दौरान गहलोत ने कहा कि दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए एडवायजरी जारी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि जसोल प्रकरण की जांच जोधपुर के संभागीय आयुक्त से करवाई जाएगी। उनके साथ प्रदेश के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी,जल संसाधन मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला और चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा भी थे।
उधर केंद्रीय मंत्री एवं बाड़मेर के सांसद कैलाश चौधरी और भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने भी मृतकों के घर जाकर मुलाकात की। दोनों ने कहा कि राज्य सरकार को जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
डेढ़ मिनट में तहस-नहस हो गया पांडाल
चश्मदीदों के मुताबिक बवंडर से रामकथा का पंडाल (डोम) 20 फीट ऊपर तक उड़ गया, फिर नीचे गिरा। इसके बाद लोहे के पाइप में करंट दौड़ गया। हादसे के वक्त हवा की रफ्तार 80 से 100 किमी प्रति घंटा थी। करीब डेढ़ मिनट में ही पूरा पंडाल तहस-नहस हो गया। किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला।
पांडाल गिरते ही बिजली का करंट दौड़ गया। यहां लगे दो आॅटोमैटिक जरनेटर अचानक स्टार्ट हो गए और करंट पूरे पांडाल में दौड़ गया,जिससे लोगों की मौत हो गई। करंट और दम घुटने से 13 लोगों की मौत हुई। वहीं 3 लोगों की अस्पताल में उपचारे के दौरान मौत हुई। विधुत निगम के अधीक्षण अभियंता सोनाराम चौधरी ने बताया कि आयोजकों ने कार्यक्रम के लिए विभाग से अनुमति नहीं ली थी,अनाधिकृत तौर पर बिजली के तार लगाए जाने के साथ ही जनरेटर भी लगाए गए थे।
रामकथा का आयोजन एक मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया गया था। ट्रस्ट ने ना तो बिजली विभाग से अनुमति ली थी और ना ही नगर परिषद और पुलिस से अनुमति ली थी। सरकारी स्कूल के खुले मैदान में आयोजित रामकथा के लिए शिक्षा विभाग ने भी अनुमति नहीं दी थी। सरकार ने मृतकों के आश्रितों को 5-5 लाख रु. और घायलों को 2-2 लाख की सहायता राशि देने का निर्णय किया था। लोगों का आरोप है कि पंडाल का फाउंडेशन बेहद कमजोर था। वह सिर्फ दो फीट के फाउंडेशन पर खड़ा था।
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