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Sawan Somvar 2020: अजमेर में सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों में नहीं कर सकेंगे जलाभिषेक

Sawan Somvar 2020 राजस्थान के अजमेर में अंदरकोट की पहाड़ी पर बना ऐतिहासिक झरनेश्वर महादेव का मंदिर इस बार हर-हर महादेव के जयकारों से नहीं गूंज सकेगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 10:18 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 10:25 PM (IST)
Sawan Somvar 2020: अजमेर में सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों में नहीं कर सकेंगे जलाभिषेक

अजमेर, संवाद सूत्र। Sawan Somvar 2020: राजस्थान में इस बार सावन के पहले सोमवार पर शिव मंदिरों में अभिषेक और पूजा-अर्चना की अनुमति नहीं होगी। अजमेर में अंदरकोट की पहाड़ी पर बना ऐतिहासिक झरनेश्वर महादेव का मंदिर इस बार हर-हर महादेव के जयकारों से नहीं गूंज सकेगा। यह मंदिर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के उपर पहाड़ी पर होने से इसे सांपदायिक सौहार्द की दृष्टि से देखा जाता है। सावन में जब दरगाह और अंदरकोट से कांवड़ यात्राएं और शिव भक्त गुजरते हैं, तब फूलों की बरसात होती है। सावन में इस क्षेत्र में शिवभक्तों में खास उत्साह रहता है। यही वजह है कि झरनेश्वर महादेव के मंदिर में पूरे सावन में सहस्त्र धाराएं और अनुष्ठान होते रहते हैं।

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झरनेश्वर महादेव सेवा समिति के प्रतिनिधि महेश अग्रवाल ने बताया कि श्रद्धालुओं की मांग को देखते हुए जिला प्रशासन से मंदिर में अभिषेक और पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। यही वजह है कि इस बार सावन में मंदिर में कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं होगा। मंदिर इतिहास में यह पहला अवसर है कि सावन में झरनेश्वर मंदिर सूना रहेगा। प्रशासन ने यह अनुमति कोरोना संक्रमण को देखते हुए नहीं दी है। इससे मंदिर से जुड़े श्रद्धालु बेहद मायूस है। अग्रवाल ने बताया कि पूरे सावन में अंदरकोट का क्षेत्र हर हर महादेव के जयघोष से गूंजता था। गर्मी के दिनों में जगह जगह शीतल पेय के काउंटर भी लगाए जाते थे।

400 फिट की ऊंचाई पर बने मंदिर के पहड़ी रास्ते में श्रद्धालुओं के लिए अनेक सुविधाएं भी समिति की ओर से उपलब्ध करवाई गई है। यहां भगवान शिव बाल स्वरूप में विराजमान है। मंदिर के प्रवेश में कोई जातिभेद नहीं है। हर धर्म का व्यक्ति भगवान शिव की प्रतिमा पर जलाभिषेक करता है। भगवान शिव की शान में दरगाह क्षेत्र में नगाड़े बजाने का इतिहास भी रहा है। अजमेर के इतिहास की जानकारी रखने वालों के अनुसार मराठाकाल में अजमेर में एक साथ तीन स्थानों पर भगवान शिव को विराजमन करवाया गया।

बाल स्वरूप अंदरकोट की पहाड़ी पर युवा स्वरूप को मदारगेट अब (शांतेश्वर महादेव मंदिर) तथा नया बाजार के शिवबाग में राठौड़ स्वरूप को स्थापित किया गया। इन तीनों ही मंदिरों का खास महत्व है, लेकिन झरनेश्वर महादेव मंदिर की धार्मिक गतिविधियां हमेशा चर्चा में रहती है। चूंकि पहाड़ी से लगातार पानी गिरता है, इसलिए इसका नाम झरनेश्वर मंदिर रखा गया। अब पहाड़ी के झरने को गाय की प्रतिमा से जोड़ दिया गया है, इसलिए गोमाता के मुंह से झरना निकलता है। इस प्राकृतिक दृश्य को देखने के लिए भी शिवभक्त यहां आते हैं।

पुष्कर सरोवर भी सूना

सावन में इस बार पवित्र पुष्कर सरोवर भी सूना पड़ा है। प्रति वर्ष सावन में अजमेर और आसपास के क्षेत्रों के शिव मंदिरों में पुष्कर सरोवर से जल ले जाया जाता है। यही वजह है कि कांवड़ यात्राएं भी पुष्कर से निकलती थी, लकिन कोरोना संक्रमण की वजह से सरोवर के घाटों पर श्रद्धालुओं के जाने पर रोक लगी हुई है। यही वजह है कि अब शिवभक्त भी अपने मंदिरों के लिए सरोवर से पानी नहीं ले जा पा रहे हैं।


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