Tiger Reserve: एनटीसीए ने राजस्थान के बाघ अभयारण्यों में गिनाई ढेरों कमियां
Tiger Reserve in Rajasthan. एनटीसीए की रैंकिंग में इस बार राजस्थान के तीनों बाघ अभयारण्यों की रेटिंग में गिरावट आई है।
जयपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने राजस्थान के तीनों बाघ अभयारण्यों रणथंभौर, सरिस्का और मुकुंदरा हिल्स के प्रबंधन और रख-रखाव में ढेरों कमियां पाई हैं। एनटीसीए की रैंकिंग में इस बार राजस्थान के तीनों बाघ अभयारण्यों की रेटिंग में गिरावट आई है। तीनों बाघ अभयारण्य इस बार एनटीसीए की रैंकिंग में गुड से फेयर पर आ गए हैं। यानी इनकी रैकिंग में गिरावट दर्ज की गई है।
रणथंभौरः बढ़ते पर्यटक चिंता का विषय
एनटीसीए ने माना है कि यह देश ही नहीं दुनिया के सबसे चर्चित बाघ अभयारण्यों में से एक है। यहां हर वर्ष औसतन 4.70 लाख पर्यटक आते हैं। इनमे से एक तिहाई विदेशी होते हैं। यहां लगातार बढ़ रही होटलों की संख्या चिंता का विषय है। रणथंभौर में स्थित प्रसिद्घ त्रिनेत्र गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को भी चिंताजनक बताया है। यहां हर वर्ष करीब 20 लाख श्रद्धालु आते हैं। परिक्रमा के दौरान ये श्रद्धालु खाने का सामान और काफी कचरा कोर एरिया में डालते हैं। यहां से गांवों का विस्थापन नहीं होना भी बड़ी समस्या है। कोर एरिया में ही अभी तक 65 गांव है, जिनमें आठ हजार परिवार रहते है। इसके अलावा 112 गांव कोर एरिया के बाहर दो किमी के क्षेत्र में है जहां करीब 16 हजार परिवार रहते हैं।
सरिस्काः फिर शिकारियों का डर
सरिस्का राजस्थान का दूसरा बड़ा बाघ अभयारण्य है। एनटीसीएए ने यहां बाघों का शिकार बढ़ने की आशंका जाहिर की है। एनटीसीए ने कहा है कि यहां बाघों के पहली खेप को लाए गए दस वर्ष बीत चुके हैं। बाघों की संख्या में प्राकृतिक तौर पर बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो रही है। ऐसे में यहां एक बार फिर बाघ खत्म हो सकते हैं। रिपोर्ट में सरिस्का के प्रबंधन को लेकर 29 तरह की कमियां सामने लाई गई हैं। एनटीसीए का कहना है कि शिकारियों के समुदाय यहां अभी मौजूद है। यही वह समुदाय थे, जिनके कारण 2005-06 में यहां बाघ पूरी तरह खत्म हो गए थे। चिंकारा और कुछ अन्य प्रजातियों के जानवर यहां लंबे समय से नहीं दिख रहे हैं। यहां कोर एरिया में पाण्डुपोल, नल देव और भर्तहरी जैसे धार्मिक स्थल हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर वन अधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं है। कोर एरिया में 26 गांव है और यहां के परिवार पूरी तरह इस जंगल पर ही निर्भर हैं। कोर एरिया के 500 मीटर की दूरी पर ही 61 खदानें लीज दे दी गई हैं।
मुकुंदरा हिल्सः अभी पूरी तरह तैयार नहीं
मुकुंदरा हिल्स राजस्थान का नया बाघ अभयारण्य है। यहां खनन गतिविधियां बहुत ज्यादा हैं। ऐसे में यहां लंबे समय तक बाघों का टिक पाना बड़ी चुनौती है। यहां बाघों के लिए शिकार की भी कमी है। सरकार दूसरे वन क्षेत्रों से हिरण आदि ला रही है, लेकिन जब तक यहां प्राकृतिक रूप से वन्यजीव पैदा नहीं होंगे, तब तक काम नहीं चलेगा। इसके अलावा इस क्षेत्र से जयपुर- मुंबई रेलवे लाइन और राष्ट्रीय राजमार्ग 12 गुजरता है।
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