राजस्थान के सियासत संघर्ष में अब 'बजरी कारोबारी' की एंट्री
राजस्थान के सियासत संघर्ष में अब बजरी कारोबारी की एंट्री भाजपा का आरोप- अब तक हम पर आरोप लगा रहे गहलोत खुद बजरी माफिया के मेहमान बने
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में बजरी माफिया के आतंक को लेकर पिछले कई सालों से सत्तापक्ष और विपक्ष विधानसभा के अंदर व बाहर नोक-झोंक होती रही है। मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विपक्ष में रहते हुए पांच साल तक लगातार वसुंधरा राजे सरकार को बजरी माफियाओं के साथ मिली-भगत के मुद्दे को लेकर घेरा था। सत्ता संभालने के बाद इसी साल फरवरी में विधानसभा में गहलोत ने पिछली भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि बजरी माफिया 5 करोड़ मासिक किस्त दे रहे थे।
कांग्रेस के अन्य नेता भी तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के मंत्रियों के साथ बजरी माफियाओं की निकटता को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन अब मौका भाजपा का आया है। राज्य में चल रहे सियासी संकट के बीच सीएम गहलोत ने अपने खेमे के विधायकों को जैसलमेर के सूर्यगढ़ होटल में शिफ्ट किया तो भाजपा नेताओं को उन्हे घेरने का मौका मिल गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि सीएम यह स्पष्ट करें कि लग्जरी की बजरी कहां से आ रही है। भाजपा के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी और पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा का कहना है कि गहलोत सरकार बजरी माफियाओं को संरक्षण दे रही है। बजरी माफियाओं के हितों की रक्षा की जा रही है।
आहूजा ने एक बातचीत में कहा कि जिस सूर्यगढ़ होटल में गहलोत के मंत्री और विधायक मेहमान बनकर रह रहे हैं उसका संबंध प्रदेश के एक बड़े बजरी कारोबारी से है। ज्ञानदेव आहूजा ने आरोप लगाया है कि ये वही बजरी कारोबारी है जिसके और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच मिलीभगत के आरोप अशोक गहलोत ने पांच साल विपक्ष में रहते हुए लगाए थे। आहूजा ने आरोप लगाया है कि गहलोत जब पिछली बार मुख्यमंत्री थे तब इसी बजरी कारोबारी को बजरी की खानों का आबंटन करके गए थे।
वहीं देवनानी का कहना है कि डेढ़ साल में बजरी का अवैध कारोबार करने वालों के हौंसले बुलंद हो गए। बजरी का अवैध करोबार करने वालों ने सरकारी कर्मचारी की हत्या तक कर दी। कई ग्रामीण इनका निशाना बने हैं। लेकिन गहलोत सरकार अब खुद बजरी कारोबारी की मेहमान बनी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि जब गहलोत खुद, उनके मंत्री और विधायक ही बजरी कारोबारी की होटल में रूक रहे हैं तो साफ जाहिर है, अवैध बजरी के कारोबार को संरक्षण भी दिया जा रहा है।
नेताओं के निकट है बजरी कारोबारी
जैसलमेर में जिस बजरी कारोबारी की होटल में गहलोत खेमे के विधायक रूके हैं,उसका निकट रिश्ता एक भाजपा के वरिष्ठ नेता से है। वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में इस कारोबारी के हितों का संरक्षण इस नेता द्वारा किए जाने को लेकर आरोप लगते रहे हैं।
भाजपा का एक वर्ग ही इस बात को लेकर वसुंधरा सरकार से नाराज था।अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि भाजपा के वरिष्ठ नेता से जिसका करीबी रिश्ता हो इसके बावजूद गहलोत का भरोसा उसकी होटल पर है, आखिर राज क्या है। हालांकि इससे पहले गहलोत ने जयपुर में जिस फेयरमाउंट होटल में विधायकों को रखा वे भी विवादों में रहा। आयकर और ईडी ने बाड़ेबंदी के दिन ही छापेमारी की थी। होटल पर मनी लॉड्रिंग से मॉरिशस से 96 करोड़ के निवेश के आरोप भी हैं।
इस होटल के मालिक रतनकांत शर्मा की सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के साथ कारोबारी रिश्ते हैं। वैभव गहलोत फेयरमाउंट होटल में रतनकांत शर्मा के पार्टनर भी है। भाजपा और सचिन पायलट की पहुंच से दूर करने के लिए गहलोत अपने खेमे के विधायकों को जैसलमेर ले गए, लेकिन अब जिस होटल में उन्हे ठहराया गया है उसको लेकर विरोधी सवाल उठा रहे हैं।