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Rajasthan: उदयपुर में तैयार सेब जैसा लाल सुर्ख अमरूद, पंद्रह साल की मेहनत के बाद तैयार नई किस्म

New Guava Variety Prepared राजस्थान के उदयपुर में जल्द ही ऐसे भी अमरूद बाजार में देखने को मिल सकेंगे जो बाहर से भी सेब की तरह लाल सुर्ख होंगे। यह आम अमरूदों के मुकाबले और ज्यादा मीठे होंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 02:54 PM (IST)
Rajasthan: उदयपुर में तैयार सेब जैसा लाल सुर्ख अमरूद, पंद्रह साल की मेहनत के बाद तैयार नई किस्म
उदयपुर में सेब जैसा लाल सुर्ख अमरूद तैयार।

उदयपुर, सुभाष शर्मा। New Guava Variety Prepared: अभी तक आपको ऐसे अमरूद ही देखने को मिलेंगे, जो अंदर से क्रीमी या लाल होते हैं लेकिन जल्द ही ऐसे भी अमरूद भी बाजार में देखने को मिलेंगे जो बाहर से भी सेब की तरह लाल सुर्ख होंगे। यह अमरूद आम अमरूदों के मुकाबले ज्यादा मीठे होंगे। यह उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में डेढ़ दशक से चले आ रहे शोध का परिणाम है। अमरूद की इस नई किस्म का पेटेंट के आवेदन किया जा चुका है, लेकिन नाम दिया जाना अभी बाकी है। यूं तो पंजाब में सबसे पहले लाल सुर्ख अमरूद की किस्म तैयार की लेकिन उसके लिए जरूरी है कि जहां फसल बोई जाए वहां का तापमान पांच डिग्री सेेल्सियस से कम हो, जबकि उदयपुर में तैयार नई किस्म हर तापमान वाले क्षेत्र में लगाई जा सकेगी।

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महाराणा प्रताप कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर में उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एसएस लाखावत का कहना है कि पिछले पंद्रह साल से अमरूद की नई किस्म को लेकर यहां शोध चल रहा था और सफलता हाथ लगने के बाद ही इसके पेंटेंट के लिए आवेदन किया जा चुका है। नई किस्म अभी तक पैदा किस्मों से सबसे अलग है। अभी तक अंदर से लाल रंग के गूदे वाले अमरूद बाजार में मिलते है। लेकिन इस किस्म के बाजार में उतरने के बाद पहली बार सेब जैसे लाल सुर्ख अमरूद बाजार में देखने को मिलेंगे। इस अमरूद की बाहरी रूप लाल सुर्ख होगा, जबकि अंदर से वह क्रीमी ही निकलेगा। इस अमरूद की दूसरी विशेषता यह होगी कि यह अन्य किस्म के अमरूदों की अपेक्षा ज्यादा मीठा होगा। अभी तक तेरह प्रतिशतता वाले अमरूद पाए जाते हैं लेकिन यह अमरूद पंद्रह प्रतिशतता से अधिक मीठा होगा।

ठंडे इलाकों में और भी बेहतर परिणाम

बताया गया कि सेब जैसे लाल सुर्ख अमरूद राजस्थान तथा अन्य राज्यों में भी उगाए जा सकेंगे। यदि इस किस्म के अमरूदों की खेती ठंडे इलाकों में की जाए तो और भी बेहतर परिणाम आएंगे। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो राजस्थान जैसे इलाके में पांच साल के एक पेड़ से हर साल पचास किलो अमरूद लिए जा सकते हैं, वहीं एक हेक्टेयर में चार सौ पौधे लगाए जा सकेंगे, जो अमरूदों के मुकाबले डेढ़ सौ पौधे ज्यादा है।

किसानों तक पहुंचाने के प्रयास शुरू

उदयपुर के कृषि विश्वविद्यालय में तैयार अमरूदों की इस नई किस्म के पौधे किसानों तक पहुंचाने की तैयारी विश्वविद्यालय ने शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र के जरिए किसानों को इसकी पौध दी जाएगी।

11 जगह लगाए पौधे, सभी जगह मिली सफलता

महाराणा प्रताप कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2004 में इस अमरूद की किस्म को लेकर काम शुरू किया। इस बीच, 11 विभिन्न केंद्रों पर इसकी पौध लगाकर उनकी देखभाल की गई। सभी जगह मिली सफलता के बाद अब इसे अब बाजार में उतारने की योजना बनाई है। कृषि विज्ञानी डॉ. सुबोध शर्मा बताते हैं कि वैज्ञानिकों की ओर से किए जा रहे शोध किसानों के खेतों तक पहुंच जाए तो हम धरतीपुत्र ही नहीं बल्कि देश के विकास में अहम योगदान दे सकेंगे।

राजस्थान से पहले पंजाब के कृषि विश्वविद्यालय ने लाल अमरूद की किस्म तैयार की, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वहां का तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से कम होना। जबकि राजस्थान में तैयार नई किस्म किसी भी तापमान में लाल सुर्ख अमरूद की है।


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