Keoladeo National Park: देशी-विदेशी पक्षियों से गुलजार हुआ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
Keoladeo National Park. यहां पक्षियों के कलरव का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भरतपुर पहुंच रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Keoladeo National Park. राजस्थान के भरतपुर में स्थित विश्व विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी विहार) इन दिनों देशी-विदेशी पक्षियों की आवक से गुलजार है। यहां 366 प्रजातियों के पक्षियों की आवक रिकॉर्ड की जा चुकी है। सर्दी बढ़ते ही केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों का कलरव गूंजता सुनाई देता है। यहां पक्षियों के कलरव का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भरतपुर पहुंच रहे हैं। प्रतिवर्ष अक्टूबर से फरवरी माह तक केवलादेव में पक्षियों का सीजन होता है।
दिसंबर में सर्दी बढ़ने के बाद पक्षियों की आवक पूरी चरम पर होती है। इन दिनों हजारों की संख्या में दुर्लभ प्रजाति के स्थानीय और प्रवासी पक्षी पाए जाते हैं। यहां साईबेरिया, मंगोलिया, यूरोफ, दक्षिण अफ्रीका से पक्षी सर्दियों के मौसम में आते हैं। इसके साथ ही हजारों की संख्या में दुर्लभ प्रजाति के स्थानीय और प्रवासी पक्षी पाए जाते हैं। यहां साईबेरिया, मंगोलिया, यूरोप, अफ्रीका से पक्षी सर्दियों के मौसम में आते हैं. यहां सैंकड़ों प्रजातियों के पक्षियों को देखा सकता है।
साल 1984 में घोषित किया जा चुका है विश्व धरोहर
वन विभाग के अधिकारियों एवं पक्षी विशेषज्ञ हर्षवर्धन ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को साल, 1971 में संरक्षित पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में साल,1984 में इसे 'विश्व धरोहर' भी घोषित किया गया। करीब 29 किलोमीटर के इस वेटलेंड में मानव निर्मित झील है। इस झील में 50 से अधिक प्रजातियों की मछलियां भी है। इसके साथ ही दलदलीय क्षेत्र, ग्रासलैंड, सूखे वुडलैंड और पानी वुडलैंड मौजूद है। यहां 13 प्रजाति के सांप, पांच प्रजाति की छिपकलियां, सात प्रजाति के मेंढक और सात प्रजाति के कछुए यहां पाए जाते हैँ।
एक दौर था, जब जंगल के सबसे ज्यादा बालों वाले जीव भालू का वजूद सिर्फ मदारी के डमरू तले दबकर रह गया था । लेकिन बाद में मदारियों पर भालू रखने और उसका तमाशा दिखाने पर पाबंदी लग गई । लेकिन फिर भी भालू जंगल में संरक्षण के लिए तरसता रहा। टाइगर के मुकाबले भालू को सरकारी संरक्षण नहीं मिल सका। लोगों का भी लगाव खत्म हो गया। अब इसके लिए अलग से अभ्यारण्य बनने के बाद इनकी स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। वन्यजीवों के संरक्षण के तहत राज्य सरकार ने जयपुर के झालाना में लेपर्ड कंजरवेंसी बनाई है।