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मुनाबाव में कई साल बाद खुला भारत-पाक बॉर्डर का गेट और अपने वतन पहुंच गया रेशमा का शव

इससे पहले तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह इसी रास्ते से पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 05:37 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 05:48 PM (IST)
मुनाबाव में कई साल बाद खुला भारत-पाक बॉर्डर का गेट और अपने वतन पहुंच गया रेशमा का शव
मुनाबाव में कई साल बाद खुला भारत-पाक बॉर्डर का गेट और अपने वतन पहुंच गया रेशमा का शव

जागरण संवाददाता, जयपुर। बेटी से मिलने पाकिस्तान के मीरपुरखास गई राजस्थान के बाड़मेर की रेशमा का शव आखिरकार एक सप्ताह के इंतजार के बाद मंगलवार दोपहर सड़क मार्ग से भारत पहुंच गया। इसके लिए बॉर्डर पर बने गेट को कई साल बाद विशेष रूप से खोला गया। बाड़मेर जिले में मुनाबाव सीमा पर पाकिस्तान रेंजर्स ने बीएसएफ को रेशमा का शव सौंपा। वहां से गडरारोड के निकट स्थित रेशमा के गांव भेजा गया। मुनाबाव सीमा पर सड़क मार्ग को दूसरी बार खोला गया है। इससे पहले तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह इसी रास्ते से पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे।

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जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान के मीरपुरखास से रेशमा का शव मंगलवार सुबह आठ बजे एंबुलेंस से रवाना किया गया था। शव दोपहर में सीमा के निकट पाकिस्तान के अंतिम रेलवे स्टेशन खोखरापार पहुंचा। वहां से पाकिस्तानी रेंजर्स शव को लेकर सीमा पर जीरो लाइन तक लेकर आए। रेशमा के साथ पाकिस्तान गया उसका पुत्र साहिब खान शव के साथ वापस आया है। जीरो लाइन पर विशेष रूप से बुलाए गए इमीग्रेशन स्टॉफ ने शव को भारत भेजने की औपचारिकताएं पूरी की। भारतीय सीमा में बीएसएफ, इमीग्रेशन स्टाफ, पुलिस जाप्ता, प्रशासनिक अधिकारी और रेशमा के परिजन शव को लेने पहुंचे। बाद में सीमा पर स्थित गेट को खोल पाकिस्तानी रेंजर्स ने बीएसएफ के अधिकारियों को शव सौंपा। यहां कुछ औपचारिकताएं पूरी कर शव को उसके गांव भेज दिया गया ।

सड़क मार्ग से शव लाने को प्रदान की गई विशेष अनुमति
बाड़मेर में अगासडी गांव निवासी रेशमा 30 जून को अपने बेटे के साथ पाकिस्तान के सिंध सूबे में मीरपुरखास में रह रही अपनी बेटी व बहन से मुलाकात के लिए गई थी, जहां बुखार आने की वजह से 25 जुलाई को उसका निधन हो गया। उसके बाद से बाड़मेर में रहने वाले उसके परिजनों ने जिला कलेक्टर के माध्यम से रेशमा का शव वापस भारत लाने के प्रयास शुरू किए। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के हस्तक्षेप के बाद भारतीय उच्चायोग हरकत में आया। पहले रेशमा का शव भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस से लाने का प्रयास किया गया। इसके लिए 27 जुलाई को थार एक्सप्रेस को डेढ़ घंटे तक पाकिस्तान में रोक कर रखा गया, लेकिन शव को इससे भारत लाने की कुछ औपचारिकताओं के अभाव में यह संभव नहीं हो पाया। आखिरकार 28 जुलाई को पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने रेशमा का शव सड़क मार्ग से भारत भेजने का आदेश जारी किया। पाकिस्तानी रेंजर्स के नाम जारी आदेश में रेशमा के शव के साथ उसके पुत्र साहिब खान को भी भारत भेजे जाने अनुमति प्रदान की गई।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विधायक ने किए प्रयास
रेशमा का शव भारत लाने के लिए केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने काफी प्रयास किए। उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय राजदूत से बात की और फिर अावश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिए। भाजपा विधायक मानवेन्द्र सिंह ने काफी प्रयास किए। उन्होंने ही विदेश मंत्री को पूरे मामले से अवगत करवाया था।

जसवंत सिंह गए थे इसी मार्ग से पाकिस्तान
साल 2002 में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह पाकिस्तान स्थित अपनी कुलदेवी हिंगलाज माता के मंदिर में दर्शन करने धार्मिक यात्रा पर एक जत्थे के साथ इसी मार्ग से पाकिस्तान गए थे। उसके बाद यह पहला अवसर है, जब किसी को सड़क मार्ग से यह सीमा पार करने की अनुमति प्रदान की गई है। 


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