Move to Jagran APP

Mohan Bhagwat In Udaipur: हिंदू राष्ट्र के परम वैभव में विश्व का कल्याण निहितः मोहन भागवत

Mohan Bhagwat In Udaipur मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू राष्ट्र के परम वैभव में विश्व का ही कल्याण होगा। उनके मुताबिक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा कोरोनाकाल में किया गया निस्वार्थ सेवा कार्य ही हिंदुत्व है। इसमें सर्वकल्याण का भाव निहित है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 08:23 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 08:23 PM (IST)
उदयपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत। फाइल फोटो

उदयपुर, संवाद सूत्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक डा. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की आहुति देते हुए भारतवर्ष के लिए कार्य करने का मार्ग सहर्ष चुना। डा. हेडगेवार ने प्रारंभिक वर्षों में यह अनुभव किया कि स्वाधीनता मिलने के बाद भी पुनः हम पराधीन न हों, इस पर विचार करना होगा। संघ की स्थापना के मूल में यही चिंतन रहा। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत ने रविवार को उदयपुर के विद्या निकेतन सेक्टर-4 में आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी में कही। उदयपुर के गणमान्य नागरिकों को संघ के उद्देश्य, विचार व कार्य पद्धति के विषय पर उद्बोधन देते हुए सरसंघ चालक ने कहा कि व्यक्ति निर्माण का कार्य संघ का लक्ष्य है। व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण, समाज निर्माण से देश निर्माण संभव है। उन्होंने कहा कि जो स्वयंसेवक अन्यान्य क्षेत्र में स्वायत्त रूप से कार्य कर रहे हैं, मात्र उन्हें देख कर ही संघ के प्रति किसी तरह की धारणा नहीं बनाई जा सकती। संघ विश्व बंधुत्व की भावना से कार्य करता है। संघ के लिए समस्त विश्व अपना है।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि संघ को नाम कमाने की लालसा नहीं है। क्रेडिट, लोकप्रियता संघ को नहीं चाहिए। 80 के दशक तक हिंदू शब्द से भी सार्वजनिक परहेज किया जाता था, संघ ने इस विपरीत परिस्थिति में भी कार्य किया। प्रारंभिककाल की साधनहीनता के बावजूद संघ आज विश्व के सबसे बड़े संगठन के स्वरूप में है। संघ प्रमाणिक रूप से कार्य करने वाले विश्वसनीय, कथनी करनी में अंतर न रखने वाले समाज के विश्वासपात्र लोगों का संगठन है। सभी हिंदू हमारे बंधु हैं, यही संघ है। संघ की शाखा, संघ के स्वयंसेवक यही संघ है। समाज में सकारात्मक सेवा कार्य स्वयंसेवक स्वायत्त रूप से करते हैं।

सनातन संस्कृति को मानने वाले सभी हिंदू

सरसंघ चालक भागवत ने कहा कि हम सभी भारत माता की संतान हैं, हिंदू यानी सनातन संस्कृति को मानने वाले हैं। हिंदू की विचारधारा ही शांति और सत्य की है। हम हिंदू नहीं हैं, ऐसा एक अभियान देश व समाज को कमजोर करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। जहां-जहां विभिन्न कारणों से हिंदू जनसंख्या कम हुई है, वहां समस्याएं उत्पन हुई हैं, इसलिए हिंदू संगठन सर्वव्यापी बन कर विश्व कल्याण की ही बात करेगा। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र के परम वैभव में विश्व का ही कल्याण होगा। हिंदुत्व को सरल शब्दों में समझाते हुए भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा कोरोनाकाल में किया गया निस्वार्थ सेवा कार्य ही हिंदुत्व है। इसमें सर्वकल्याण का भाव निहित है। उन्होंने कहा कि दिखने में जो भारत की विविधता है, उसके मूल में एकता का एक भाव है, युगों से इस पुण्य भूमि पर रहने वाले पूर्वजों के वंशज हम सभी हिंदू हैं, यही भाव हिंदुत्व है। इससे पहले सरसंघ चालक भागवत, राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्रीय संघचालक रमेशचंद अग्रवाल व महानगर संघचालक गोविंद अग्रवाल द्वारा भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य हस्तीमल व वरिष्ठ प्रचारक गुणवंत सिंह कोठारी भी उपस्थित थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.