Lockdown: 13 राज्यों में फंसे प्रवासी राजस्थानियों ने घर पहुंचने के लिए गहलोत सरकार से मांगी मदद
Coronavirus. व्यापार और मजदूरी के लिए देश के 13 जिलों में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों ने अशोक गहलोत सरकार से इस संकट की घड़ी में उन्हें अपने घर पहुंचने में मदद मांगी है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Coronavirus. कोरोना संक्रमण के कारण विभिन्न राज्यों में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। करीब 30 हजार प्रवासी राजस्थानी इस संकट की घड़ी में अपनी मातृभूमि में आना चाहते हैं। व्यापार और मजदूरी के लिए देश के 13 जिलों में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों ने अशोक गहलोत सरकार से इस संकट की घड़ी में उन्हें अपने घर पहुंचने में मदद मांगी है। प्रवासी राजस्थानियों की मुसीबत को समझते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से मांग की है कि प्रवासी लोगों को उनके घर जाने के लिए एक बार लॉकडाउन में छूट दी जानी चाहिए। इस संबंध में गहलोत के अलावा राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने केंद्रीय गृह सचिव से आग्रह किया है।
गहलोत सरकार द्वारा प्रवासी राजस्थानियों की मदद के लिए नोडल अफसर के रूप में नियुक्त किए गए अखिल भारतीय सेवा के दो दर्जन अधिकारियों से पिछले एक सप्ताह में करीब 20 हजार लोगों ने संपर्क कर उन्हें घर पहुंचाने को लेकर मदद मांगी है। इनमें सबसे अधिक पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात और महाराष्ट्र में रह रहे प्रवासी राजस्थानी शामिल हैं। इन राज्यों में राजस्थान के शेखावाटी अंचल के पांच जिलों के साथ ही सिरोही, जालौर, पाली व जयपुर जिले के लोग रह रहे हैं।
यहां से जाकर वहां बने बड़े व्यापारी, कुछ मजदूरी करने गए
पश्चिम बंगाल में राजस्थान के करीब पांच हजार परिवार रहते हैं। इनमें सबसे अधिक कोलकाता में रह रहे हैं। कोलकाता में रह रहे बीकानेर निवासी कारोबारी शिव बुहालका का कहना है कि यहां 80 फीसद लोग व्यापारी वर्ग से हैं, बाकी 20 फीसद मजदूरी के लिए आए हुए हैं। मुंबई में राजस्थान के पाली, जालौर व सिरोही के लोगों के ढ़ाबे व दूध की डेयरियां हैं। कुछ लोग यहां भी मजदूरी कर रहे हैं। राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर व उदयपुर के करीब छह हजार लोग गुजरात में व्यापार या मजदूरी के लिए रह रहे हैं। वहीं, चित्तौड़गढ़, बांरा व झालावाड़ के लोग मध्य प्रदेश, अलवर व जयपुर के लोग दिल्ली में रह रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में राजस्थानी रह रहे हैं।
इन्हें बनाया नोडल अफसर
उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस प्रवीण गुप्ता और आईपीएस अधिकारी संजय अग्रवाल, दिल्ली में आईएफएस अधिकारी टीजे कविथा व राजस्थानी फांउडेंशन के चेयरमैन धीरज श्रीवास्तव, बिहार में आईएएस अर्पणा अरोड़ा व आईपीएस विजय कुमार सिंह, ओडिशा में आईपीएस उत्कल रंजन साहू व आईएएस विष्णु चरण मलिक, पश्चिम बंगाल में आईएएस श्रेया गुहा व आईपीएस सुमित बिस्वास, गुजरात में आईएएस गायत्री राठौड़ और आईपीएस गोविंद गुप्ता, महाराष्ट्र में आईएएस मुग्धा सिंहा व आईपीएस विकास कुमार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आईपीएस भूपेंद्र साहू एवं आईएएस दीप नारायण, हरियाणा में आईएएस हेमंत गैरा व आईपीएस रूपिंद्र सिंह, पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर में आईएएस नवीन महाजन व आईपीएस सुनील दत्त, तमिलनाडु, केरल व कर्नाटक में आईएएस आर.वेंकटेश्वरन एवं आईपीएस बीजू जार्ज जोसफ, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में आईपीएस जंगा श्रीनिवास राव एवं आईएएस पी.रमेश को नोडल अफसर बनाया गया है।
रोजाना आते हैं कई फोन, स्थानीय सरकार के साथ समंवय कर कराते हैं समाधान
राजस्थान के सीनियर आईपीएस और राज्य आपदा कार्रवाई बल (एसडीआरएफ) के एडीजी सुष्मित विश्वास को पश्चिम बंगाल के लिए राज्य का नोडल प्रभारी नियुक्त किया है। उनकी जिम्मेदारी पश्चिम बंगाल में फंसे राजस्थान के लोगों और राजस्थान में फंसे हुए पश्चिम बंगाल के प्रवासियों की मदद करना है। सुष्मित विश्वास के मुताबिक पिछले पांच दिन में रोजाना सौ-डेढ़ सौ फोन कॉल्स आते हैं। इनमें ज्यादातर शरणार्थी मजदूर हैं। उनकी समस्या भाेजन न मिलना और घर पहुंचने की इच्छा है। कई अवसाद में हैं।
सुष्मित कहते हैं कि हमारी प्राथमिकता है कि कोई भी प्रवासी डिप्रेशन की वजह से कोई गलत कदम न उठा लें। फोन कॉल पर हम उनकी काउंसलिंग भी करते हैं। सुष्मित विश्वास के मुताबिक वे सभी फोन सुनते हैं। इसके लिए राजस्थान में फंसे प्रवासियों की भोजन व ठहरने की समस्या को स्थानीय अधिकारियों से बातचीत कर हल करते हैं।