Coronavirus: राजस्थान में मास्क बने महिलाओं की आय का जरिया
Coronavirus. सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए कपड़े के मास्क आय का जरिया बन गए हैं।
राज्य ब्यूरो, जयपुर। Coronavirus. कोरोना संकट के समय महिलाओ के स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए कपड़े के मास्क आय का जरिया बन गए हैं। राजस्थान सरकार दीनदयाल आजीविका मिशन के तहत इन स्वयं सहायता समूहों से मास्क बनवा कर शहरी गरीबों को वितरित कर रही है। मास्क तैयार करने के बदले इन समूहों को एक मास्क के लिए दस रुपये तक दिए जा रहे हैं। अब तक ऐसे करीब साढ़े पांच लाख मास्क तैयार कराए जा चुके हैं।
कोरोना संक्रमण के चलते राजस्थान में सरकार ने मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है और मास्क नहीं पहनने पर सौ रुपये का चालान तक किया जा रहा है। ऐसे में शहरी गरीबों को सरकार की ओर से मास्क निशुल्क दिए जा रहे हैं और यह मास्क महिला स्वयं सहायता समूहों से बनवाए जा रहे हैं। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर इसके लिए स्वायत शासन विभाग ने सभी निकायों को दीनदयाल आजीविका मिशन के तहत काम करने वाले महिला स्वयं सहायता समूह से मास्क बनवाने के लिए कहा है। इन समूहों से विभाग दस रूपए में मास्क खरीद रहा है। इस पहल से न सिर्फ गरीब लोगों को मास्क मिल रहे है, बल्कि स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं की आय भी हो रही है।
निकायों से कहा गया है कि स्थानीय स्तर पर दानदाताओं से संपर्क कर इन महिला स्वयं सहायता समूहों को कपड़ा उपलब्ध करवाएं। जहां ऐसी व्यवस्था न हो, वहां निकाय खुद खरीद कर कपड़ा उपलब्ध कराएं। हालांकि जहां निकाय खुद कपड़ा उपलब्ध करवा रहे हैं, वहां चार रुपये प्रति मास्क की दर से भुगतान किया जा रहा है और जहां किसी अन्य जगह से कपड़ा आ रहा है, वहां दस रुपये प्रति मास्क की दर से भुगतान किया जा रहा है।
राज्य के सभी निकायों में यह काम करने के लिए कहा गया है, हालांकि सबसे अच्छा काम स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के गृह जिले कोटा और प्रभार वाले जिले जयपुर में ही हुआ है।
कोटा में नगर निगम 28 महिला स्वयं सहायता समूह से अब तक एक लाख से ज्यादा मास्क बनवा चुका है। वहीं, जयपुर नगर निगम ने आठ महिला स्वयं सहायता समूह से 30 हजार से ज्यादा मास्क बनवाए है। इनके अलावा झुंझुनू, जैसलमेर, प्रतापगढ़, धौलपुर, करौली जिलों में भी इस योजना के तहत अच्छा काम हुआ है और हर जिले में औसतन 15 से 20 हजार मास्क तैयार हो चुके हैं। वहीं, कुछ जिले जैसे अजमेर, भीलवाड़ा, जोधपुर आदि इस मामले में पीछे है।