Coronavirus: गुनगुने पानी के गरारे और जल नेति बचा सकते हैं कोरोना से
Coronavirus गुनगुने पानी के गरारे और एक बार सही तकनीक से की गई योग की प्राचीन क्रिया जल नेति आपको कोरोना संक्रमण से बचा सकती है।
राज्य ब्यूरो, जयपुर। Coronavirus: प्रतिदिन तीन बार गुनगुने पानी के गरारे और एक बार सही तकनीक से की गई योग की प्राचीन क्रिया जल नेति (नेजल वॉश) आपको कोरोना संक्रमण से बचा सकती है। जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल की एक श्वास रोग विशेषज्ञ ने अपने अध्ययन में इस बात का दावा किया है। उनका यह अध्ययन इंडियन चेस्ट सोसायटी की ओर से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल 'लंग्स इंडिया' में प्रकाशित हुआ है। अलबत्ता, जब तक कोरोना का स्थायी इलाज नहीं मिल जाता तब तक हमें इसके संक्रमण के बीच ही जीने की कला सीखनी होगी। हमें इससे बचाव के तरीके अपनाकर खुद को और परिवार के साथ ही समाज को सुरक्षित रखना होगा।
अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना का संक्रमण इंसान के मुंह और गले से होते हुए फेफड़ों तक पहुंचता है। गुनगुने पानी के गरारे और जल नेति इसे रोक सकती है। जल नेति यानी नेजल वॉश को चिकित्सा विज्ञान में नेसोफेरेंजियल प्रोसेस भी कहते हैं। अध्ययन दावा करता है कि नाक और गला साफ तो कोरोना बाहर।
यह अध्ययन एसएमएस अस्पताल की श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. शीतू सिंह ने किया है। उन्होंने बताया कि सर्दी-खांसी और बुखार के रूप में प्रकट होने वाले अपर रेसपीरेटरी वायरल संक्रमण की रोकथाम में गरारे और जल नेति का हमने वैज्ञानिक मूल्यांकन किया है। इसमें यह पाया कि कोविड जैसी बीमारियों की रोकथाम में यह काफी उपयोगी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि जल नेति एक विशेष क्रिया है और इसे किसी विशेषज्ञ से सीखकर सही तकनीक से ही करना जरूरी है।
अध्ययन बताता है कि जिस तरह धोने से हाथों का संक्रमण दूर होता है, उसी तरह गरारे और जल नेति से नाक व गले की धुलाई होती है। दरअसल, गले और नाक के म्यूकोसा की कोशिकाओं में नमक के क्लोराइड आयन हाईपोक्लोरस एसिड (एचओसीएल) में बदल जाते हैं। इसका एंटी वायरल प्रभाव होता है, जिससे गले और नाक के रास्ते में वायरल संक्रमण में कमी आती है। डॉ. सिंह ने बताया कि एचओसीएल ब्लीचिंग पाउडर का भी एक सक्रिय घटक है।
इस शोध के ग्रुप लीडर श्वास रोग विशेषज्ञ और एसएमएस अस्पताल के श्वास रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि जापान में मास्क पहनने और हाथ धोने को इन्फ्लूएंजा नियंत्रण के राष्ट्रीय दिशा-निर्देश में शामिल किया गया है। इसी तर्ज पर गरारे और जल नेति को महामारी से बचाव के लिए भारत में प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोविड में आमतौर पर शुरुआती लक्षणों के एक सप्ताह बाद सांस फूलने और निमोनिया की शिकायत होती है। ऐसे में प्रथम लक्षण सामने आते ही गरारे और जल नेति की जाए तो फायदा मिल सकता है।
कब करें गरारे और जल नेति
डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि दिन में तीन बार गरारे करने चाहिए और सुबह खाली पेट जल नेति करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड के समय में जब भी हम बाहर से आएं तो हमें गरारे करने चाहिए। जल नेति किसी विशेषज्ञ से सीखने के बाद सही तकनीक से करनी चाहिए और उच्च रक्तचाप, हृदय रोग तथा कान डॉक्टर के परामर्श के बाद ही यह करनी चाहिए। इसके अलावा ये दोनों ही क्रियाएं वॉशबेसिन पर करनी चाहिए और उसके बाद वॉशबेसिन को कीटाणु मुक्त करना चाहिए।