पाकिस्तान से आ रहे टिड्डियों ने सरकार और किसानों की मुश्किल बढ़ाई, सीएम ने केंद्र से मांगी मदद
पाकिस्तान से आ रहे टिड्डियों ने सरकार और किसानों की मुश्किल बढ़ाई सीएम ने केंद्र से मांगी मदद
जयपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस से लड़ रहे राजस्थानियों के लिए पाकिस्तान की तरफ से आ रहे टिड्डी दल एक बड़ा संकट बन गए हैं । पिछले तीन दिन से तेज हवाओं के साथ आ रहे टिड्डी दलों पर नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केद्र सरकार से मदद मांगी है।
गहलोत ने कहा कि टिड्डी समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार अधिक संसाधन उपलब्ध कराए । गहलोत ने कृषिमंत्री लालचंद कटारिया एवं सीमावर्ती जिलों के कलेक्टर्स को टिड्डी नियंत्रण को लेकर आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए हैं । पाकिस्तान से सटे पश्चिमी राजस्थान के तीन जिलों में टिड्डी टेरर से किसान परेशान है । खास बात यह है कि इस बार खतरा पिछली बार से कहीं ज्यादा बड़ा है। टिड्डी नियंत्रण संगठन के अधिकारियों के मुताबिक इस बार प्रकोप पिछली बार से 2-3 गुना ज्यादा हो सकता है।
टिड्डियों का एक साल में तीन बार प्रजनन होता है। अरब देशों में इनका स्प्रिंग ब्रीडिंग का समय पूरा हो रहा है और अब ये ग्रीष्मकालीन ब्रीडिंग के लिए भारत-पाकिस्तान का रुख कर रही हैं। मानसूनी हवाओं के चलते भी इनका भारत की ओर आने का खतरा ज्यादा है।
पाक सीमा से सटे पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर,जैसलमेर व जोधपुर जिलों में सरकारी मशीनरी एवं किसानों की समस्या यह है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन है,वे परंपरागत ढंग से स्प्रे एवं थाली बजाकर टिड्डी दलों को भगा भी नहीं सकते । सोशल डिस्टेंसिंग के कारण किसान एकत्रित भी नहीं हो सकते। दरअसल,टिड्डी दलों पर नियंत्रण के लिए किसान हमेशा थाली और बर्तन बजाकर आवाज करते हैं,जिससे टिड्डीयों पर कुछ हद तक नियंत्रण होता है। वहीं प्रशासन की तरफ से स्प्रे किया जाता है,कोरोना के कारण इसमें भी मुश्किल हो रही है।
नियंत्रण के पुराने तरीके अब नहीं आ रहे काम
पिछले तीन-चार दिनों से चल रही तेज हवाओं और आंधी के कारण भी टिड्डियां पाकिस्तान की सीमा से राजस्थान आ रही हैं। पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत के रास्ते ये टिड्डियां यहां आ रही हैं। इनका अधिक आतंक जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में है। श्रीगंगानगर जिले में भी टिड्डीयों का कुछ प्रकोप है। इसके साथ ही पंजाब के फाजिल्का जिले के साथ लगी सीमा के गांवों में भी टिड्डियां आ चुकी हैं। पिछली बार टिड्डी नियंत्रण संगठन ने 4 लाख 3 हजार 488 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण किया था, जबकि राज्य सरकार ने करीब 1 लाख 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी कंट्रोल किया था ।
राज्य के कृषिमंत्री लालचंद कटािरया ने बताया कि सरकार इन पर नियंत्रण के लिए काम कर रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने केंद्र सरकार से टिड्डी नियंत्रण के कदम उठाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर टिड्डी नियंत्रण के लिए पुराने तरीके अब कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। इसके लिए नई सोच से काम करना होगा ।
इस बार जल्दी हुआ अटैक
टिड्डियों ने इस बार समय से पहले घुसपैठ कर सरकार और किसान दोनों को भी पशोपेश में डाल दिया है । टिड्डी नियंत्रण संगठन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. के एल गुर्जर के मुताबिक टिड्डी अटैक के मई माह के अंत में होने का अनुमान था, लेकिन इस बार टिड्डियों ने 11 अप्रेल को ही प्रदेश में घुसपैठ कर दी। पिछले साल 22 मई से टिड्डी का प्रकोप शुरू हुआ था जो 17 फरवरी तक चला था । इस तरह 2 महीने पहले टिड्डी का प्रकोप शुरू हो गया जिसने कई चुनौतियां खड़ी कर दी है।गुर्जर ने बताया कि टिड्डी अटैक शुरू होते ही नियंत्रण के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं । अब तक 4 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण किया भी जा चुका है।यह प्रयास है कि पंख आने से पहले ही टिड्डीयों को खत्म करने की है जिससे वो उड़कर दूसरे क्षेत्रों में ना जा सकें। टिड्डी करीब 20 दिन में मैच्योर हो जाती है और प्रजनन शुरू कर देती हैं। 11 अप्रेल से ही नियंत्रण तो शुरू कर दिया गया, लेकिन 25-30 अप्रेल आते-आते पंख वाली टिड्डियों ने धावा बोलना शुरू कर दिया जिनसे निपटना अब बड़ी चुनौती है । टिड्डी नियंत्रण के लिए गैर कृषि क्षेत्र में मेलाथियान 96 प्रतिशत रसायन का इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि कृषि क्षेत्र में दूसरे रसायनों का छिड़काव हो रहा है।