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जानें कैसे जुड़ी हैं 'हनुमान चालीसा' के चौपाइयों में कामयाबी के मंत्र

शांति के साथ सफलता कैसे प्राप्त की जाए इसका महामंत्र है श्री हनुमान चालीसा की चौपाइयां जिनके एक-एक शब्द में कामयाबी के सूत्र छिपे हुए हैं

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 11:14 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 11:21 PM (IST)
जानें कैसे जुड़ी हैं 'हनुमान चालीसा' के चौपाइयों में कामयाबी के मंत्र
जानें कैसे जुड़ी हैं 'हनुमान चालीसा' के चौपाइयों में कामयाबी के मंत्र

अजमेर, जेएनएन। जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजयशंकर मेहता ने हनुमान चालीसा की व्याख्या कर कहा कि शांति चाहिए तो जीवन के क्रम को पलटना होगा। उन्होंने कहा कि आज के दौर में हर कोई सफल होना चाहता है और इसीलिए जीवन के हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। कई लोग कामयाब हो भी जाते हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सच्ची सफलता वही है जिसके साथ शांति भी हो। शांति के साथ सफलता कैसे प्राप्त की जाए, इसका महामंत्र है श्री हनुमान चालीसा की चौपाइयां जिनके एक-एक शब्द में कामयाबी के सूत्र छिपे हुए हैं। बस, हमें जरूरत है हनुमान चालीसा को जीवन में उतारकर उन सूत्रों को पकड़ने की।

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 यह बात ख्यात जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजय शंकर मेहता ने 12 अक्टूबर को लोहागल रोड स्थित जवाहर रंगमंच पर हुए व्याख्यान कार्यक्रम में हम होगें कामयाब विषय पर बोलते हुए कही। अजमेर जिला वैश्य महासम्मेलन द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में पं. मेहता ने हमारी सफलता को हनुमान चालीसा से जोड़ते हुए बताया कि अभी हम लोग जीवन का जो क्रम अपना रहे हैं, वह है - सबसे पहले प्रोफेशनल लाइफ, फिर सोशल, उसके बाद फैमिली और सबसे आखरी में महत्व देते हैं हमारे निजी जीवन यानी पर्सनल लाइफ को। शांति की तलाश हो तो हमें थोड़ा इस क्रम को पलटकर इस प्रकार करना होगा - सबसे पहले पर्सनल लाइफ, उसके बाद फैमिली लाइफ, फिर सोशल और उसके बाद हमारा फोकस होना चाहिए प्रोफेशनल लाइफ पर।

 चौपाइयों में कामयाबी की व्याख्या

श्री हनुमान चालीसा की दस-दस चौपाइयों को इन्हीं चार प्रकार के जीवन से जोड़ते हुए कामयाबी के सूत्रों की गहरी व्याख्या की गई। कहा हर प्रकार के जीवन में सफलता एक-दूसरे पर निर्भर करती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण काम करता है योग। ध्यान-योग के माध्यम से निजी जीवन में जो दिव्यता उतरेगी उसी से पारिवारिक जीवन तृप्त होगा। पारिवारिक जीवन में तृप्त होंगेतो समाज के प्रति समर्पित हो पाएंगे और इन सबका मिला-जुला परिणाम होगा व्यावसायिक जीवन में सफलता के साथ शांत भी रह पाएंगे।

संसार के सबसे बड़े गुरु हैं हनुमानजी

पं. मेहता ने कहा हर व्यक्ति सफल होना चाहता है और हर सफलता के पीछे प्रमुख रूप से हाथ होता है गुरू और उनके लिए गए मंत्र का। वे लोग बड़े सौभाग्यशाली होते हैं जिनके जीवन में कोई योग्य गुरु आ जाएं। लेकिन आज सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि गुरु बनाएं किसे? जिसे भी गुरु की तलाश हो हनुमानजी को गुरु और हनुमान चालीसा को मंत्र बना लीजिए। संसार में हनुमानजी से बढ़कर कोई गुरू नहीं हो सकता ऐसे ही हनुमान चालीसा की एक-एक पंक्ति, एक-एक शब्द दिव्य है। जब ये चौपाइयां मंत्र रूप में जीवन से जुड़ेंगी तो सफलता के साथ शांति का मार्ग अपने आप आसान होता जाएगा।

हर हाल में परिवार बचाना होंगे 

पं. मेहता ने कहा आज हमारी अशांति का एक बड़ा कारण है परिवारों का टूटना बिखरना। हमें हर हाल में परिवारों को टूटने से बचाना होगा और यहां काम आएंगे हनुमानजी। हमारे हनुमानजी परिवार के देवता हैं। उनका पूरा जीवन-चरित्र परिवार, प्रेम, समर्पण और सफलता के साथ शांति का प्रतीक है। गुरू रूप में हनुमानजी जिसके जीवन से जुड़ जाएं, उसके चारों प्रकार के जीवन (निजी, पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक) सुख-शांति व आनंद से भर जाते हैं।

किया गया सम्मानित 

आयोजक संस्था के  उमेश गर्ग ने बताया इस अवसर पर रमेशचन्द्रजी अग्रवाल, मोहनलालजी साबू, ओप्रकाशजी मंगल, सुभाषजी नवाल, डॉ. कमलाजी गोखरू, दीपकजी झंवर, हरीशजी गर्ग एवं अमित कुमार जी गुप्ता कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे साथ ही शंकर लाल जी बंसल, भंवर लाल जी मूंदड़ा, मोहन लाल जी खण्डेलवाल, ईश्वरजी बीजावत, श्रीमती मधु पाटनी, सुबोजी जैन, दौलत राज जी कोठारी को वैश्य गौरव की उपाधि से अलकृंत कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम मं काली चरण दास खण्डेलवाल, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, पुखराज पहाडिय़ा, महेश हेड़ा, एस.डी.बाहेती, राजेन्द्र मित्तल, राजेन्द्र अग्रवाल, कमल काबरा, शिवशंकर हेड़ा, शिवशंकर फतेहपुरिया, अशोक पंसारी, सतीश बंसल, सुभाष काबरा, ताराचंद माहेश्वरी, सुरेन्द्र लखोटिया, अनुपम गोयल, अंकुर मित्तल, सुकेश खण्डेलवाल, शरद खण्डेलवाल, इन्दू जैन, पूर्वी अग्रवाल, गिरधारी मंगल, पार्षद विजयलक्ष्मी विजय, प्रेम विजय सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, महिलाओं सहित गणमान्यजन उपस्थित थे।

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