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Rajasthan: किसानों की जमीन अब बिजली भी पैदा करेगी

electricity in Rajasthan. राजस्थान में योजना तीन कैटेगरी में लागू होगी। इनमें से पहली कैटेगरी यानी ए श्रेणी के लिए बिजली कंपनियों ने तैयारी पूरी कर ली है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 07:32 PM (IST)
Rajasthan: किसानों की जमीन अब बिजली भी पैदा करेगी
Rajasthan: किसानों की जमीन अब बिजली भी पैदा करेगी

राज्य ब्यूरो, जयपुर। electricity in Rajasthan. राजस्थान में किसानों की जमीन अब बिजली भी पैदा करेगी। केंद्र की कुसुम योजना के तहत किसान अपनी जमीन पर सोलर प्लांट लगा कर न सिर्फ अपनी बिजली की जरूरत पूरा कर सकेंगे, बल्कि ग्रिड में बिजली देकर कमाई भी कर सकेंगे। इस योजना को प्रदेश में लागू करने के लिए राजस्थान सरकार ने खाका तैयार कर लिया है। इसमें सबसे ज्यादा फायदा उन किसानों को होगा, जिनकी जमीन किसी कारण से बंजर हो गई है। अब इन पर सोलर प्लांट लग सकेंगे और किसानों को अतिरिक्त आय हो सकेगी। इसके लिए किसानों से 31 दिसंबर तक आवेदन मांगे गए हैं।

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राजस्थान में योजना तीन कैटेगरी में लागू होगी। इनमें से पहली कैटेगरी यानी ए श्रेणी के लिए बिजली कंपनियों ने तैयारी पूरी कर ली है। राज्य में तीनों बिजली वितरण कंपनियों ने 33केवी के 4456 ग्रिड सब स्टेशन (जीएसएस) का चयन किया है। इनमें जोधपुर बिजली वितरण कंपनी में सर्वाधिक 1669 जीएसएस, अजमेर में 1428 और जयपुर डिस्कॉम में 1359 जीएसएस चिह्नित किए गए हैं। जोधपुर राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में पड़ता है। यहां सौर ऊर्जा की उपलब्धता सबसे ज्यादा है और किसानों के पास जमीन का आकार भी ज्यादा है, इसलिए वहां सर्वाधिक जीएसएस चिह्नित किए गए है।

चिह्नित जीएसएस के आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे में किसान अपनी जमीन पर 0.5 से दो मेगावाट तक के सोलर प्लांट लगा सकेंगे। इसके लिए उन्हें बिजली वितरण कंपनी यानी संबंधित डिस्कॉम में आवेदन करना होगा। वहां यदि एक हजार से ज्यादा आवेदन आ गए तो रिवर्स बिडिंग होगी यानी जो किसान सबसे कम दर पर बिजली वितरण कंपनी को बिजली देने को तैयार होगा, उसका आवेदन सबसे पहले स्वीकार किया जाएगा। रिवर्स बिडिंग के लिए राजस्थान विद्युत नियामक आयोग की ओर से 3.14 रुपये प्रति यूनिट दर तय की गई है, यानी जो भी किसान इससे कम दर में भी सबसे कम दर पर बिजली देने को तैयार होगा, उसका आवेदन पहले स्वीकार किया जाएगा।

इसके अलावा बी श्रेणी में उन खेतों तक सोलर पंप से बिजली पहुंचाई जाएगी, जहां अभी बिजली का इंतजार है। इसके तहत साढ़े सात हॉर्सपॉवर के सोलर पंप खेतों में लगाए जाएंगे। इसमें किसान को सिर्फ दस फीसद पैसे का इंतजाम करना होगा। 30-30 फीसद अनुदाम केंद्र व राज्य सरकार देगी और बाकी 30 फीसद के लिए किसान को कर्ज मिल जाएगा। इस योजना में फोकस इस बात पर रहेगा कि किसान अपने डीजल पंप को सोलर पंप में बदल लें ताकि उनका खर्च बहुत कम हो जाए और डीजल की बचत भी हो।

इसी तरह सी श्रेणी में बिजली कंपनियों के एग्रीकल्चर फीडर को ग्रीन फीडर में बदले जाने पर जोर दिया जाएगा। इसमें साढ़े सात हॉर्सपॉवर के सोलर पंप खेतों में लगाए जाएंगे, जिसके लिए मौजूदा कनेक्शनों के आधार पर फीडरों का चयन कर लिया गया है। इसके लिए उन फीडरों को प्राथमिकता दी गई है, जहां सर्वाधिक साढ़े सात हॉर्सपावर के कनेक्शन हैं।

इस योजना के जरिये किसानों की खेती की लागत काफी कम हो जाएगी और सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दूरदराज के क्षेत्रों में जहां अभी तक बिजली नहीं पहुंची है, वहां भी किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मिल सकेगी। जानकारों का कहना है कि एक मेगावाट के प्लांट से किसान ब्याज व सब खर्च काट कर करीब 5.25 लाख प्रतिवर्ष का फायदा कमा सकता है। बिजली कंपनियों ने किसानों के लिए पूरी योजना का खाका तैयार कर जारी कर दिया है। साथ ही, 31 दिसंबर तक जमीन की उपलब्धता की सूचना मांगी है। बिजली कंपनियों को इस योजना से काफी उम्मीद है, क्योंकि बहुत से किसान इस योजना के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।

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