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गोविंदाचार्य बोले, अनुच्छेद 370 हटाना कश्मीर समस्या के समाधान की सिर्फ शुरुआत है

KN Govindacharya. केएन गोविंदाचार्य का मानना है कि अनुच्छेद 370 को हटाना कश्मीर समस्या के समाधान की दिशा मे सिर्फ शुरुआती कदम है अभी आगे और बहुत कुछ किया जाना है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 04:57 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 04:57 PM (IST)
गोविंदाचार्य बोले, अनुच्छेद 370 हटाना कश्मीर समस्या के समाधान की सिर्फ शुरुआत है
गोविंदाचार्य बोले, अनुच्छेद 370 हटाना कश्मीर समस्या के समाधान की सिर्फ शुरुआत है

जयपुर, जेएनएन। किसी समय भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य का मानना है कि अनुच्छेद 370 को हटाना कश्मीर समस्या के समाधान की दिशा मे सिर्फ शुरुआती कदम है, अभी आगे और बहुत कुछ किया जाना है। उन्होंने देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत मानी है।

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अपने संगठन भारत विकास संगम के एक कार्यक्रम के सिलसिले में जयपुर आए गोविंदाचार्य ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान के बारे में जब भी कुछ किया जाता तो उसका रास्ता अनुच्छेद 370 से ही होकर निकल सकता था। अब जो कुछ किया गया है, इस समस्या के समाधान की दिशा में शुरुआती कदम है। जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही है, सरकार उनके बारे में सचेत होगी और मेरा मानना है कि इस दिशा में भी कुछ करेगी।

देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। दोनों ही दलों की आर्थिक नीतियों में कोई बड़ा अंतर नहीं हैै। वर्ष 1991 में लागू किए गए आर्थिक सुधारों की की नीति लगातार जारी है, लेकिन अब समय आ गया है कि इस नीति की समीक्षा की जाए। देश की आर्थिक नीति में देशी सोच पर आधारित विकेंद्रित व्यवस्था हो। इस पर बहुत कुछ काम करने की जरूरत पहले भी थी और आज बहुत ज्यादा है।

गोविंदाचार्य ने कहा कि कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में ही रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर मिल सकते हैं। हमे देखना होगा कि वैश्विक व्यवस्था में हमारी विशेषता क्या है। जीडीपी पर उन्होंने कहा कि देश में किस दल की सरकार है, इसका जीडीपी में योगदान तो होता है, लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होता। भारत की सबसे की विकास दर में सबसे ज्यादा वृद्धि 1993 से 1998 के राजनीतिक अस्थिरता वाले समय में रही थी और अब तो जीडीपी मापने तरीके पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। 

राममंदिर पर उन्होंने कहा कि इस मामले में संवाद का कोई नतीजा नहीं निकला है और यह बात पहले भी लग रही थी। उन्होंने कहा कि यह जमीन का विवाद तो है ही नहीं, इसलिए यह न्यायपालिका का विषय भी नहीं है। अब रास्ता कानून बनाने का है और मैं मानता हूं कि कानून बनाने से ही इसका रास्ता निकलेगा।

एनआरसी पर गोविंदाचार्य ने कहा कि घुसपैठ जैसी गंभीर समस्या के बारे में जब भी कुछ किया जाएगा तो कुछ विरोध तो होगा, लेकिन यह महत्वपूर्ण कदम है और लगता नहीं कि विद्वेष की भावना से कुछ किया जा रहा है। जो समस्याएं आ रही हैं, उनका जितनी संवेदनशीलता और पारदर्शिता से समाधान किया जाएगा उतना ही आम सहमति से काम होगा।

भाजपा और संघ से जुड़ाव के बारे में गोविंदाचार्य ने कहा कि आज मैं जो भी काम कर रहा हूं वह अपने तौर पर कर रहा हूं। मैं संघ का प्रचारक नहीं हूं, लेकिन स्वयंसेवक हूं और हमेशा रहूंगा। भाजपा या किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं और जिस राह जाना नहीं, वहां कितने आम के पेड़ लगे हैं और कितने नीम के पेड़ लगे हैं, इससे क्या फर्क पड़ता है।

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