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राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान- कश्मीर तो बहाना है, पाक सेना कभी भी भारत से रिश्ते सुधरने नहीं देगी

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि कश्मीर तो सिर्फ बहाना है पाकिस्तान की सेना अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए कभी भी भारत से रिश्ते सुधरने नहीं देगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 09:50 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 09:50 AM (IST)
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान- कश्मीर तो बहाना है, पाक सेना कभी भी भारत से रिश्ते सुधरने नहीं देगी

जयपुर, मनीष गोधा। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि कश्मीर तो सिर्फ बहाना है, पाकिस्तान की सेना अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए कभी भी भारत से रिश्ते सुधरने नहीं देगी। उनका मानना है कि धारा 370 का इस्तेमाल कश्मीर को आतंकवाद का अडडा बनाए रखने के लिए किया जा रहा था।

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आरिफ मोहम्मद खान शुक्रवार जयपुर में थे और यहां एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से जम्मू कश्मीर राज्य का भारत में पूर्ण अधिमिलन विषय पर आयोजित व्याख्यान दे रहे थे। खान ने कहा कि पाकिस्तान की सेना वहां सब कुछ है और वहां का जो भी चुना हुआ नेता भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश करता है,उसका कुछ समय काम तमाम हो जाता है।

उन्होने चुटकी लेते हुए कहा कि दुनिया के बाकी देशों में वहां की फौज होती है, पाकिस्तान में फौज के पास एक देश है। खान ने कहा कि कश्मीर मे जो 1988 से जो कुछ चल रहा है,वह साधारण आतंकवाद नहीं है। यह प्राॅक्सीवार है।

खुद जनरल जिया उल हक ने वहां कीसेना को दिए एक भाषण में कहा था कि हम भारत से परम्परागत युद्ध में नहीं जीत सकते, इसलिए हमें भारत के सीने पर इतने घाव करने है कि वहां खून ही खून बह जाए। इसके लिए ऑपरेशन जिब्राल्टर शुरू किया गया और यह वहीं प्राॅक्सीवार है। उन्होने कहा कि इससे किसी राज्य की सरकार नहीं केन्द्र की सरकार ही लड सकती है। ऐसे में मौजूदा सरकार ने कश्मीर पर जो फैसला किया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम है।

खान ने कहा कि कश्मीर के लोगा तो 1947 में ही भारत के साथ जुडने का फैसला कर चुके है और धारा 370 के जरिए यह भ्रम फैलाया गया कि यह वह धारा है जो कश्मीर को भारत से जोडती है। यह भ्रम आज भी फैलाया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि इससे कश्मीरियों के अधिकारो पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा, जबकि हकीकत में यह फैसला कश्मीर की आम जनता को मजबूत करेगा।

उन्होने कहा कि धारा 370 ही नहीं किसी भी तरह का विशेष प्रावधान सिर्फ ताकतवार लोगो को ही फायदा देता है। कश्मीर में भी यही हुआ। वहां जब पहली बार चुनाव हुए तो सभी लोग निर्विरोध चुने गए,क्योंकि शेख अब्दुल्ला ने उनके लोगोंके खिलाफ आए नामांकन रदद करा दिए। उस समय धारा 370 नहीं होती तो जिसका नामंकन रदद हुआ वह चुनाव आयेाग के पास जा सकता था और चुनाव रदद करवा सकता था। इस धारा ने कश्मीर में खर्च किए जा रहे पैसे की जांच पड़ताल तक रोक दी थी।

उन्होने कहा कि धारा 370 काफी हद तक कमजोर हो चुकी थी और अब इसका इस्तेमाल कश्मीर को आतंकवाद का अडडा बनाए रखने के लिए किया जा रहा था। पाकिस्तान को कश्मीर से कोई मतलब नहीं है। वहां की सेना अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए इस मुददे को जिंदा रखना चाहती है। उन्होने कहा कि भारत कोई जमीन का टुकडा नहीं है। भारत एकविचार है और कश्मीर के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सरकार ने अपना काम कर दिया है, अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम कश्मीरियो को यह भरोसा दिलाएं कि वे हमारे ही लोग है।

पूर्व सांसद डाॅ महेश चंद्र शर्मा ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि धारा 370 एक मात्र ऐसी धारा थी कि जिस पर संविधान सभा में कोई बहस नहीं हुई, क्योंकि इसे अस्थाई धारा के रूप में स्वीकार किया गया था। उस समय इसका जबर्दस्त विरोध हुआ था और संविधान बनाने वाले डाॅ अम्बेडकर ने इस धारा रखने से मना कर दिया था। बाद में गोपाल स्वामी आयंगर ने इसका प्रस्ताव रखा।

शर्मा ने कहा कि धारा 370 जिस दिन से लागू हुई उसी दिन से गलत थी, क्योंकि यह भारत की संसद की सम्प्रभुता को चुनौती देती थी। बाद में इसके इर्द गिर्द राजनीति का ऐसा जाल बिछाया गया कि इसे कश्मीरियत की पहचान बना दिया गया। उन्होने कहा कि भारत की सभी रियासतो का अधिमिलन सरदार पटेल कर गए थे। धारा 370 हटा कर अमित शाह ने इस रियासत का भी अधिमिलन करा दिया।


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