Move to Jagran APP

करणी सेना की चेतावनी, दुनिया में कहीं रिलीज नहीं होने देंगे पद्मावती

करणी सेना ने चेतावनी दी कि दुनिया के किसी भी देश में कहीं भी यह फिल्म रिलीज नहीं होंगे देंगे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 05 Jan 2018 06:04 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jan 2018 06:40 PM (IST)
करणी सेना की चेतावनी, दुनिया में कहीं रिलीज नहीं होने देंगे पद्मावती
करणी सेना की चेतावनी, दुनिया में कहीं रिलीज नहीं होने देंगे पद्मावती

जयपुर, जागरण संवाददाता। संजय लीला भंसाली की फिल्म "पद्मावती" को लेकर विवाद अभी जारी है। श्री राजपूत करणी सेना ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि दुनिया के किसी भी देश में कहीं भी यह फिल्म रिलीज नहीं होंगे देंगे। करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि संजय लीला भंसाली इस फिल्म को रिलीज करने की इच्छा छोड़ दें। उन्होंने कहा कि हम फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने को लेकर अडिंग हैं।

loksabha election banner

कालवी ने कहा कि 27 जनवरी को चित्तौड़गढ़ में रानी पद्मनी के जौहर स्थल पर महाकुंभ होगा। इसमें देशभर से राजपूत समाज के लोग शामिल होंगे। करणी सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह ने कहा कि हमारी वजह से फिल्म की टीआरपी बढ़ी है, लेकिन अब हम चांदी का जूता मारेंगे। इधर, अब मुस्लिम समाज फिल्म के विरोध में उतर आया है। मुस्लिम समुदाय के प्रमुख लोगों का कहना है कि पद्मावती में अल्लाउद्दीन खिलजी का जो चित्रण किया जा रहा है, उससे इस आशंका को बल मिलता है कि इस फिल्म के रिलीज होने के बाद राजस्थान का माहौल बिगड़ सकता है। हिन्दू- मुस्लिम सद्भाव बिगाड़ने का काम हो सकता है।

अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ति की दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की तुलना विवादित लेखक सलमान रूश्दी,तस्लीमा नसरीन और तारेक फतेह से करते हुए कहा कि भंसाली भी इस फिल्म में इन लेखकों की तरह धार्मिक भावनाएं आहत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म से राजपूत समाज के साथ मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को भी ठेस पहुंचेगी। अंजुमन तालिमुल इस्लाम के मौलाना बद्रे आलम और उदयपुर के सदर मोहम्मद खलील ने कहा कि हिन्दू-मुस्लिमों की भावनाओं को आहत कर माहौल बिगाड़ने का काम हो रहा है।

इस फिल्म को बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जाएगा। इनका कहना है कि महाराणा प्रताप के सेनापति हकीम खां सूरी ने1576 में मुगल बादशाह अकबर से हल्दीघाटी युद्ध में मुकाबला किया था। मेवाड़ के महाराणा अकबर से परेशान मांडू के सुल्तान बाज बहादुर को शरण देने के साथ ही सैनिक सहायता भी की,इससे भी अकबर मेवाड़ राजवंश से नाराज था। इन दोनों तथ्यों से साफ होता है कि मेवाड़ में हिन्दू-मुस्लिम एकता चरम पर थी, लेकिन पद्मावती के माध्यम से इसे बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

यह भी पढ़ेंः करणी सेना ने कहा, पद्मावती फिल्म दिखाई तो तोड़फोड़ होगी

 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.