Rajasthan: जेएनवीयू दीक्षांत समारोह में कैलाश सत्यार्थी बोले, विद्यार्थियों के हाथों में डिग्री नहीं प्रकाश पुंज
Rajasthan जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के सत्रहवें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति व राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के 42174 स्नातक 6882 स्नातकोत्तर व 138 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियां प्रदान की। वहीं 77 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
जोधपुर, संवाद सूत्र। Rajasthan: डिग्री हासिल करने के पश्चात आपके हाथ में एक प्रकाश पुंज, एक मशाल है। आप इस मशाल को थाम कर इस स्थान तक पहुंचाने वाले सभी जनों के प्रति कृतज्ञता बोध को प्रकट करें। आप भले ही किसी भी पृष्ठभूमि से आए हों, लेकिन अपने आप में हीनता का भाव नहीं लाना चाहिए। इसे अपने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सीख सकते हैं। वे बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से निकलकर इसी विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर आज बड़े ऊंचे स्तर पर पहुंचे हैं। आप भी उनकी तरह ऊंचे स्थान पर पहुंच सकते हैं। ये कहना है नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी का। वे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के सत्रहवें दीक्षांत समारोह में बतौर वक्ता संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर पहली बार विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट उपाधि अभी दी गई है।
पहली बार वर्चुअल आधार पर हुए जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के सत्रहवें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति व राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के 42174 स्नातक, 6882 स्नातकोत्तर व 138 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियां प्रदान की। वहीं, 77 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। विश्वविद्यालय में प्रथम बार तीन मानद उपाधियां प्रदान की गईं। इसी तरह पहली बार तीन मानद डॉक्टरेट उपाधि भी प्रदान की गई। विधि क्षेत्र में डीएलएल उपाधि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश डॉ . दलवीर भंडारी विज्ञान विषय में डीएससी उपाधि प्रो. गोवर्धन मेहता व सामाजिक कार्यों में डीलिट उपाधि एसएन सुब्बाराव को प्रदान की गई।
राज्यपाल कलराज मिश्र, उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी आभासी रूप से समारोह में मौजूद रहे और उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि ‘विभिन्न उपाधि धारक विद्यार्थी आज से नए जीवन की शुरुआत कर रहे, उसमें अवसरों के साथ-साथ चुनौतियाँ भी है, जिसे स्वीकार कर आगें बढ़े। जोधपुर के एमबीएम कॉलेज सभागार में भव्य मंच पर कुलपति प्रो. प्रवीण चन्द्र त्रिवेदी व कुलसचिव चंचल वर्मा मौजूद रहे।प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वास्थ्य कारणों से समारोह में आभासी रूप से नहीं जुड़ सके।
दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं है बल्कि नए जीवन की शुरुआत: राज्यपाल
दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए महामहिम कुलाधिपति व राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयों दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं है बल्कि विद्यार्थी के नये जीवन की शुरुआत है। विद्यार्थी इसके बाद ही नए परिवेश में ढलने के लिए संस्कारित होता है। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी विश्वविद्यालय से प्राप्त अपनी शिक्षा और संस्कारों का उपयोग राष्ट्र को सबल बनाने में करेंगे। उन्होंने कहा कि “विश्वविद्यालय ज्ञान के लिए सभी ओर से अपने आप को खुला रखें। याद रखें कि हम जो जानते हैं वो थोड़ा है जो नहीं जानते उसकी कोई सीमा नहीं है।’ उन्होंने कहा कि “वैश्वीकरण के दौर में विश्वविद्यालय के दायित्व बदल रहे हैं और जिम्मेदारियां भी बढ़ रही हैं। वर्तमान की चुनौतियों, विषेशकर विज्ञान, अभियान्त्रिकी, कला, साहित्य, संस्कृति, मीडिया व तकनीकी विषयों में विद्यार्थियों को दक्ष किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ‘विद्यार्थियों को परीक्षा उत्तीर्ण करने की भावना से अधिक उन्हें ज्ञानवान बनने की जरूरत है, जिससे वे विवेकसंपन्न व तर्कषील बनकर राष्ट्र को समृद्धषाली बनाने में अहम योगदान दे सकें।