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Udaipur Laxmi Vilas Hotel Case: उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल मामले की सुनवाई से जज ने किया इनकार

Udaipur Laxmi Vilas Hotel Case उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश मामले में सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ में सुनवाई नहीं हुई है। न्यायाधीश पीएस भाटी ने इस मामले को सुनने से इनकार कर दिया है। उन्होंने मामले की अगली तिथि 21 अक्टूबर तय की है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 06:56 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 06:56 PM (IST)
Udaipur Laxmi Vilas Hotel Case: उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल मामले की सुनवाई से जज ने किया इनकार
उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल मामले की सुनवाई से जज का इनकार।

जागरण संवाददाता, जयपुर। Udaipur Laxmi Vilas Hotel Case: राजस्थान में उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश मामले में सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ में सुनवाई नहीं हुई है। न्यायाधीश पीएस भाटी ने इस मामले को सुनने से इनकार कर दिया है। उन्होंने मामले की अगली तिथि 21 अक्टूबर तय की है। ऐसे में अब मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई कौन से न्यायाधीश की बेंच में होगी। ऐसा माना जा रहा है कि न्यायाधीश पीएस भाटी ने अपने व्यक्तिगत कारणों से इस मामले से स्वयं को अलग किया है। इस मामले से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी, पूर्व आइएएस अफसर प्रदीप बैजल, आशीष गुहा व कांतिलाल कर्मसे जुड़े हुए हैं। इन सभी की तरफ से हरीश साल्वे व प्रशांत भूषण सहित कुछ अन्य वरिष्ठ वकील पैरवी कर रहे हैं, लेकिन सोमवार का बहस का मौका ही नहीं आया। न्यायाधीश भाटी ने अपना फैसला सुनाते हुए खुद को इस केस से अलग कर लिया। इसके बाद सुनवाई स्थगित हो गई।

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जानें, क्या है मामला

सीबीआइ कोर्ट ने 15 सितंबर को प्रसंज्ञान लेते हुए सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। 252 करोड़ रुपये के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को महज 7.50 करोड़ रुपये में बेचकर सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी, पूर्व आइएएस अफसर प्रदीप बैजल, आशीष गुहा व कांतिलाल कर्मसे के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा इन सभी गिरफ्तारी वारंट से तलब भी किया गया था। सीबीआइ का आदेश आते ही हड़कंप मच गया। कोर्ट के आदेश के बाद उदयपुर कलेक्टर ने होटल को अपने कब्जे में ले लिया और संपत्ति का सत्यापन का काम चल रहा है। इसके बाद सभी ने सीबीआइ कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने इनके गैर जमानती वारंट को जमानती में तब्दील कर दिया और सीबीआइ कोर्ट में मुचलके भरने का आदेश दिया। साथ ही, उदयपुर जिला कलेक्टर को होटल का प्रबंधन फिर से भारत होटल्स लिमिटेड को सौंपने का आदेश दिया था। 


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