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राजस्थान में केसरिया के स्थान पर साइकिल का रंग फिर काला हुआ

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने अब केसरिया के स्थान पर काले रंग की साइकिल सरकारी स्कूल की छात्राओं में वितरित करने का निर्णय लिया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 04:33 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 04:33 PM (IST)
राजस्थान में केसरिया के स्थान पर साइकिल का रंग फिर काला हुआ

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। पिछली वसुंधरा राजे सरकार के फैसले बदलने में जुटी राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने अब केसरिया के स्थान पर काले रंग की साइकिल सरकारी स्कूल की छात्राओं में वितरित करने का निर्णय लिया है। भाजपा सरकार में छात्राओं को भगवा रंग की साइकिल दी जाती थी,लेकिन अब गहलोत सरकार ने इन पर रोक लगा दी है।

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राज्य के शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि भाजपा सरकार ने जान-बूझकर बिना किसी नियम के साइकिल का रंग बदल दिया था। उन्होंने कहा कि केसरिया रंग,वंदे मातरम और भारत माता की जय पर भाजपा का पेटेंट नहीं है। अब साइकिल उसी रंग और स्वरूप में दी जाएगी,जैसी वर्षों से दी जा रही थी।

उन्होंने कहा कि साइकिल का भगवा रंग,पाठ्क्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचार और भाजपा की सोच शामिल करके वसुंधरा राजे सरकार ने शिक्षा का ढांचा बिगाड़ दिया था। शिक्षा का भगवाकरण किया गया था,अब यह नहीं चलेगा।

दरअसल,स्कूलों में छात्राओं का नामांकन बढ़ाने के लिहाज से करीब एक दशक पहले 9वीं कक्षा की छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल देने का निर्णय लिया गया था। उस समय काले रंग की साइकिल दी जाती थी,लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार ने साल,2017 में इसका रंग केसरिया कर दिया था।

उधर राज्य के सरकारी स्कूलों एवं जिला स्तर पर सरकारी सूचना केंद्रों पर वसुंधरा सरकार के समय रखी गई आरएसएस के विचारकों द्वारा लिखी गई पुस्तकें हटवा दी गई है। इन पुस्तकों की खरीद सरकारी पैसों की गई थी। शिक्षा मंत्री के साथ ही सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने आरएसएस से जुड़े लेखकों की खरीद से जुड़ी फाइल तलब की है।

सावरकर के नाम से वीर हटाया

गहलोत सरकार ने फैसला किया है कि अब स्कूलों की किताबों में सावरकर को 'वीर' नहीं लिखा जाएगा। राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के लिए ताजा छपी किताबों में यह परिवर्तन इस साल 13 फरवरी को गठित पाठ्य-पुस्तक समीक्षा समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया है। सावरकर से जुड़ी सामग्री में अहम बदलाव किया गया है। इसमें विनायक दामोदर सावरकर को वीर और देशभक्त नहीं, बल्कि जेल से बचने के लिए अंग्रेजों से दया मांगने वाला बताया गया है। उनके नाम के आगे से वीर हटा दिया गया है। इससे पहले कांग्रेस सरकार ने पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव प्रस्तावित किए थे, जिनके तहत आठवीं कक्षा में अंग्रेजी की किताब के पहले अध्याय में रानी पद्मावती और अन्य महिलाओं के जौहर का एक चित्र था जिसे हटाकर उसकी जगह केवल दुर्ग का चित्र लगाया गया है। 

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