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Corona Vaccine: राजस्थान हाईकोर्ट ने वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों पर केंद्र व राज सरकार से मांगा जवाब

Corona Vaccine याचिकाकर्ता मनीष भुंवाल के वकील नीतीश बागरी ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों और निजी अस्पतालों को अलग-अलग मूल्य पर वैक्सीन मुहैया कराई जाती है जो कानून के वैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है और मौलिक अधिकारों के साथ-साथ नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 08:46 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 08:46 PM (IST)
Corona Vaccine: राजस्थान हाईकोर्ट ने वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों पर केंद्र व राज सरकार से मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों पर केंद्र व राज सरकार से मांगा जवाब। फाइल फोटो

जोधपुर, प्रेट्र। Corona Vaccine: राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकार से एंटी-कोरोना वायरस वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा। याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए टीकों की खरीद के लिए घोषित अलग-अलग कीमतों ने नागरिकों के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया। कोविशील्ड जो कि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित किया जा रहा है की कीमत केंद्र के लिए 150 रुपये, राज्य सरकारों के लिए 400 रुपये और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये है।

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हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक के कोवाक्सिन की कीमत केंद्र के लिए 150 रुपये, राज्य सरकारों के लिए 600 रुपये और निजी अस्पतालों के लिए 1,200 रुपये है। दोनों टीकों को दो खुराक में दिया जाता है। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 24 मई तक उनकी प्रतिक्रिया मांगी। याचिकाकर्ता मनीष भुंवाल के वकील नीतीश बागरी ने कहा कि केंद्र सरकार, राज्यों और निजी अस्पतालों को अलग-अलग मूल्य पर वैक्सीन मुहैया कराई जाती है, जो कानून के वैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है और मौलिक अधिकारों के साथ-साथ नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। 

उन्होंने कहा कि अधिकतम खुदरा मूल्य प्राप्त करने का फार्मूला एकीकृत है और उनके कर प्रावधानों के अनुसार, केवल स्थानीय करों को राज्यों द्वारा अतिरिक्त शुल्क लिया जा सकता है। राजस्थान में कोविड-19 स्थिति के कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए याचिका में ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता, आईसीयू बेड, ऑक्सीजन और चिकित्सा आपूर्ति की कमी, उपभोग्य दवाओं और इंजेक्शन सहित अनिवार्य रूप से रोगियों के उपचार के मुद्दों का उल्लेख किया गया था। राजस्थान सरकार ने 30 अप्रैल को जारी एक अधिसूचना में कहा था कि 95 प्रतिशत अस्पताल भरे हुए थे, जबकि वर्तमान संक्रमण दर 21 प्रतिशत के आसपास थी, जो संकट से निपटने में राज्य सरकार के सकल कुप्रबंधन का परिणाम था।


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