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Rajasthan: गुलाबचंद कटारिया बोले, ऐसी भी क्या मजबूरी कि एसीबी ने बारह घंटे में ही छोड़ दिया रिश्वतखोर डॉक्टर

Rajasthan भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पूछा कि उनके सामने ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि उसने बारह घंटे में रिश्वतखोर डॉक्टर को रिहा कर दिया। वह किसके दबाव में थे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 09:14 PM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 09:14 PM (IST)
गुलाबचंद कटारिया बोले, ऐसी भी क्या मजबूरी की एसीबी ने बारह घंटे में ही छोड़ दिया रिश्वतखोर डॉक्टर।

उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष व भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पूछा कि उनके सामने ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि उसने बारह घंटे में रिश्वतखोर डॉक्टर को रिहा कर दिया। वह किसके दबाव में थे। यदि वह सत्ता में होते तो अपने बेटे तक को नहीं बख्शते। नेता प्रतिपक्ष कटारिया भरतपुर में रविवार को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए एक चिकित्सक की रिहाई को प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। कटारिया ने कहा कि रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए भरतपुर आरबीएम हॉस्पिटल के डॉ. अनिल गुप्ता को 12 घंटों के अंदर ही छोड़ दिया गया। यह हैरत की बात है। उसकी जमानत अदालत के जरिए संभव थी। ऐसे मामले में एसीबी को जमानत मंजूर करने का अधिकार नहीं है। फिर इस मामले में ऐसा कौनसा दबाव था कि एसीबी ने बारह घंटे बाद गिरफ्तार डॉक्टर गुप्ता को रिहा कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार सामने आया है कि एसीबी ने कानून को चुनौती देते हुए इस तरह के कार्रवाई को अंजाम दिया है। इसमें किसी ना किसी का दबाव रहा होगा, जिसे जाहिर करना चाहिए। इसकी जांच भी होनी चाहिए।

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प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर

नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि राजस्थान में भ्रष्टाचार चरम पर था। अपराध के मामले में पहले से ही अव्वल हैं और अब कानून की चुनौती देकर भ्रष्टाचार के मामले में भी अगुआ हो गए हैं। महामारी के दौर में जो चिकित्सक गरीब जनता के साथ लूट मचा रहा था, उसे एसीबी ने गिरफ्तार भी कर लिया लेकिन बाद में उसे किस दबाव के बाद रिहा कर दिया। इस तरह ना केवल एसीबी ने अपने चरित्र के विपरीत काम किया। जबकि होना यह चाहिए था कि भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती। इससे पहले कभी भी इस तरह का मामला सामने नहीं आया है। अब एसीबी के अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वह जाहिर करें कि वे किस दबाव में थे।

उनका कहना था कि यदि भ्रष्टाचार के मामले में उनका बेटा भी पकड़ में आता तो वह उसे नहीं बचाते। यदि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाला विभाग ही इस तरह का भ्रष्ट आचरण करेगा तो प्रदेश में भ्रष्टाचार कभी खत्म नहीं हो पाएगा। उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने रविवार को भरतपुर के आरबीएम अस्पताल के सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता को दो हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। जिसे सोमवार सुबह रिहा कर दिया गया। भाजपा नेता इस मामले में कांग्रेस सरकार और एसीबी के प्रति आक्रामक बनी हुई है, वहीं कांग्रेस के नेता बयान देने से बच रहे हैं। उधर, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजी बीएल सोनी के मुताबिक मेडिकल इमरजेंसी के चलते उसकी जमानत लिए जाने की बात कर रहे हैं।  


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