Move to Jagran APP

Rajasthan: किचन वेस्ट से एक ड्रम में तेरह प्रजातियों के लगाए पौधे

Kitchen Waste. किचन वेस्ट का उपयोग सही तरीके से किया जाए तो यह आपके घर और बाहर फुलवारी दिखा सकता है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 05:34 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 05:34 PM (IST)
Rajasthan: किचन वेस्ट से एक ड्रम में तेरह प्रजातियों के लगाए पौधे
Rajasthan: किचन वेस्ट से एक ड्रम में तेरह प्रजातियों के लगाए पौधे

उदयपुर, सुभाष शर्मा। Kitchen Waste. आमतौर पर हर घर से प्रतिदिन आधा से एक किलोग्राम किचन वेस्ट (रसोई से जुड़ा कचरा) निकलता है, लेकिन अभी तक इसे फेंका ही जा रहा है किन्तु इसका उपयोग सही तरीके से किया जाए तो यह आपके घर और बाहर फुलवारी दिखा सकता है, वहीं रसोई में दैनिक काम आने वाले मीठा नीम, नींबू, अमरूद आदि के उत्पादन के लिए सहायक बन सकता है। इस अभियान की प्रदेश में शुरुआत अपना संस्थान ने की है। जिसे उन्होंने जीरो किचन वेस्ट नाम दिया है।

loksabha election banner

इस अभियान के तहत फिलहाल भीलवाड़ा, जयपुर और चित्तौड़गढ़ में दर्जनों परिवारों को जोड़ा जा चुका है। जिससे वह किचन के कचरे से ना केवल मुक्त हुए, बल्कि पर्यावरण मित्र की भूमिका में आगे आए। अपना संस्थान ने किचन वेस्ट के निस्तारण और पौधे लगाने के लिए ड्रमों को उपयोग में लिया और उसमें तेरह प्रजातियों के भिन्न-भिन्न पौधे लगाए। इसका फायदा यह रहा कि इस अभियान में वे लोग भी जुड़ पाए, जिनके पास पौधे लगाने के लिए मिट्टी वाला ऐरिया नहीं।

अपना संस्थान के भीलवाड़ा निवासी विनोद मेलाना बताते हैं कि किचन वेस्ट को उपयोग में लेने के लिए लोहे या प्लास्टिक का दो सौ किलोग्राम वाले ड्रम को उपयोग में लेने से पहले उसमें बारह बड़े छेद बना लिए जाते हैं।

जिसमें चार लेयर में नारियल जूट, गन्ने का वेस्ट, घास-फूस और सूखे पत्ते के साथ चौथी लेयर मिट्टी की तैयार की जाती है। इसके बाद वह ड्रम में पानी डालकर दस ग्राम वेस्ट डीकंपोजर डालते हैं, जो बाजार में आसानी से उपलब्ध है।

किचन वेस्ट डालने के लिए ड्रम को एक फिट तक खाली रखा जाता है। जो किचन वेस्ट के लिए रखा जाता है और डीकंपोजर बैक्टीरिया उसे खाद में बदलते रहते हैं। इस तरह एक बार तैयार ड्रम के बारह छिद्रों में विभिन्न तरीके बारह तरीके पौधे लगाते हैं। जो मौसमी फूलों के या सजावटी होते हैं। जबकि ड्रम के ऊपर नींबू, मीठा नीम, अमरूद आदि के पौधे लगाए जा सकते हैं। सूखे गन्ने का वेस्ट खाद बनाने वाले बैक्टिरिया में कई गुना वृद्धि करने में सहायक होता है। किचन वेस्ट में बदबू नहीं फैले, इसके लिए वह सूखे पत्ते

भी ड्रम में बिछाने की सलाह दी जाती है।

देहरादून में अभियान की सफलता के बाद राजस्थान में किया शुरू विनोद मेलाना बताते हैं कि उनके बड़े भाई कैलाश मेलाना ने देहरादून में सबसे पहले इस अभियान की शुरुआत की। जिसे देखकर उन्होंने राजस्थान में भी

इसकी शुरुआत करने की ठानी। पिछले एक साल में भीलवाड़ा, जयपुर और चित्तौड़गढ़ के सात दर्जन से अधिक परिवारों ने इसे अपनाया और आज वह किचन वेस्ट का अस्सी से नब्बे फीसद का उपयोग कर रहे हैं। जल्द ही दूसरे जिलों में भी इसकी शुरुआत करेंगे।

राजस्थान की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.